टीवी के कार्यक्रमो मे आने वाली पब्लिसिटी हमने खुब देखी है। कोई हिरो को पेप्सी पिते देखते है तो हमारे अंदर पेप्सी पिने की लालसा जागृत हो जाती है। कोई क्रिकेटर को विल्स पीते बताते है तो हमको भी विल्स पिने की तडप लगती है। कोई हिरोइन को कोलगेट करते बताते है तो हमे भी कोलगेट करने की इच्छा हो जाती है। अरे हारे हुए इन्सान को जीता दे वह ताकत हमे माऊटेन Dew मे नज़र आने लगती है।
परंतु क्या कभी भी हमारे अंदर टीवी के दर्शको की तरह भावुकता या संवेदनशील आती है? जब भी हम शास्त्रो के पेजो पर विविध चरित्रो मे अनेक महापुरुष महासतियो के गुणो को देखते है तो मै उनके प्रति कितना आकर्षित होता है? मुझे अनेक गुण वैभव को देखकर के कितनी इच्छा लालसा और तडप उनके जैसा बनने की लगती है ।
अरे मै मौडलिंग ( बनावटी) ऐक्टिंग को देखकर के उसकी ओर इतना आकर्षित होता हूँ की उसके बिना मुझे सब कुछ सुना सुना लगता है। और मुझे महापुरुषो की रियल परफॉर्मेंस को देखकर के थोडा सा भी आकर्षण उनकी ओर नही होता है ।
अरे उनके माउन्टेन Dew का नाम करने के लिए हम risk लेने को तैयार हो जाते है और आत्मा कल्याण करने के लिए हम महापुरुषो के गुणो को अड्गीकार करने का risk लेने को तैयार नही होते है।
अरे भरत चक्रवर्ती का चरित्र यानि अनासक्ति की Broadcasting करता है।
स्थूलिभद्र जी की जीवन कथा यानि की प्रचंड विशुद्धि की दिल को लुभाने वाली आकर्षक एडवर्ड्सजींग।
गजसुकुमाल मुनि चरित्र यानि समतागुण की एट्रेकटीव पब्लिसिटी।
गौतम कथा यानि समर्पण गुण की चित्ताकर्षक जाहीरात।
सुलसा की जीवन कथा यानि सम्यक दर्शन की धमाके दार एडवाइजर्समेन्ट है ।
ये कैसे अद्भूत हिरे है हमारे जिनशासन के कैसी दिव्य तेज से ” टीवी की Add को छोड़कर जैनशासन की पब्लिसिटी करे”
टीवी के कार्यक्रमो मे आने वाली पब्लिसिटी हमने खब देखी है। कोई हिरो को उसके अंदर पेप्सी पिने की लालसा जागृत हो जाती है। कोई क्रिकेटर को विल्स पीत बताते है तो हमको भी विल्स पिने की तडप लगती है। कोई हिरोइन को कोलगेट करते बताते है तो हमे भी कोलगेट करने की इच्छा हो जाती है। अरे हारे हुए इन्सान को जीता दे वह ताकत हमे माऊटेन Dew मे नज़र आने लगती है।
परंतु क्या कभी भी हमारे अंदर टीवी के दर्शको की तरह भावुकता या संवेदनशील आती है? जब भी हम शास्त्रो के पेजो पर विविध चरित्रो मे अनेक महापुरुष महासतियो के गुणो को देखते है तो मै उनके प्रति कितना आकर्षित होता है? मुझे अनेक गुण वैभव को देखकर के कितनी इच्छा लालसा और तडप उनके जैसा बनने की लगती है ।
अरे मै मौडलिंग ( बनावटी) ऐक्टिंग को देखकर के उसकी ओर इतना आकर्षित होता हूँ की उसके बिना मुझे सब कुछ सुना सुना लगता है। और मुझे महापुरुषो की रियल परफॉर्मेंस को देखकर के थोडा सा भी आकर्षण उनकी ओर नही होता है ।
अरे उनके माउन्टेन Dew का नाम करने के लिए हम risk लेने को तैयार हो जाते है और आत्मा कल्याण करने के लिए हम महापुरुषो के गुणो को अड्ग्कार करने का risk लेने को तैयार नही होते है।
अरे भरत चक्रवर्ती का चरित्र यानि अनासक्ति की Broadcasting करना है।
स्थूलिभद्र जी की जीवन कथा यानि की प्रचंड विशुद्धि की दिल को लुभाने वाली आकर्षक एडवर्ड्सजींग।
गजसुकुमाल मुनि चरित्र यानि अमागुण की एट्रेकटीव पब्लिसिटी।
गौतम कथा यानि समर्पण गुण की चित्ताकर्षक जाहरात।
सुलसा की जीवन कथा यानि सम्यक दर्शन की धमाके दार एडवाइजर्समेन्ट है ।
ये कैसे अहभूत हिरे है हमारे जिनशासन के कैसी दिव्य तेज से शोभायमान सन्नारीया है ।
हे परम पिता परमेश्वर –
तुझे मुझे यह सारी चीजे देनी ही पड़ेगी।। है ।
अरे टीवी से एड देखकर के बेटा पापा के पास से पेप्सी की जिद करता है। बेटी कैडबरी की जिद करती है। पत्नी fair & lovely की हट करती है। पर क्या हम शास्त्र की स्कीन पर भरत चक्रवर्ती का परफॉर्मेंस देखकर के अनासक्ति की जिद करते है? स्थूलिभद्र की विशुद्धि को गजसुकुमाल की समता को देखकर के गौतम स्वामी के समर्पण को तो सुलसा के समकित को निहार करके इन सारी वस्तुओ का आकर्षण जागा है? मै भी इन सारी चीजो को लेने के लिए लालायित हूँ मुझे भी इन सारी चीजो को लेने की तिव्र इच्छा जागी है?
हे परम पिता परमेश्वर –
तुझे मुझे यह सारी चीजे देनी ही पड़ेगी।।