Archivers

मेरे देश की धरती के विरले पुत्र

मेरे देश की धरती पर मुझे कितना गर्व है? इसका विचार अगर हम करेंगे तो हमारी आँखे शरम से झूक जाएगी। इस देश के खातिर हमारे पुर्वजो ने जो बलिदान दिया वह उनकी खुमारी को बताता है। हमारे देश मे जब भी संकट आता है तब- तब हमारे पुर्वजो ने घी की दुध की नदिया बाही है। हर समय हमारे साथी दारो को उपर उठने का कार्य किया है। छोटे से छोटा इन्सान को मजबूत करने का प्रयास किया है। जिन पूत्रो ने तन, मन और धन न्योछावर कर दिया था इस देश मे आज भी दो युध्द लगातार इस देश की सुरक्षा और उन्नति के लिए लड रहे है।

इस माता ने विरले पुत्रो को जन्म दिया। एक सैनिक बनता है तो एक साधु बनता है। एक वतन के लिए चलता है और सब कुछ करने को तैयार रहता है तो आत्मा के लिए हर संकट को निपटाने के लिए तैयार होता है। इसलिए दुनिया वाले इनको भाव से नमन करते है। अरे एक सिमा की रक्षा के लिए सतत् जगता रहता है तो दुसरा सिमा मे रहकर सब को जगाता है। एक शस्त्र धारण करके बहार के शत्रुओ से लडता है तो दुसरा शास्त्र को धारण कर अभ्यंतर ( क्रोध, मान, माया, लोभ) आदि शत्रुओ से लडता है। एक अपने “शोर्य” से रोज नए इतिहास को लिख कर देश का गौरव बढाता है तो एक धर्म की नई परिभाषा लिखकर सर्व की एकता के नए आयाम को छूता है। एक वर्दी के प्रति वफादारी को रखता है तो दुसरा वेश के प्रति समर्पिता को रखता है। वफादारी और समर्पिता दोनो को अनुशासन मे रखकर कर्तव्य मे आगे बढाती है । एक यशस्वी बनकर अपने देश का यशोगान गाता है तो दुसरा तपस्वी बनकर त्याग धर्म के गुणगान गाता है। एक राष्ट्र की भक्ति मे शक्ति देता है तो दुसरा प्रभु भक्ति मे जुडकर अमृत का पान करता है।एक दुर दृष्टी से शत्रूओ को धुल चटाता है तो दुसरा अंतर दुष्टी से कर्मो का सफाया करता है। यह दो ही लोग है जिन्हे परिजन हर्ष से विदाई देते है।एक विर गति को पाकर अमर हो जाता है तो दुसरा सद्गगति को पाकर मुक्त होने के लिए आगे बढ़ जाता है। एक तिरंगे की शान मे जीता और मरता है तो दुसरा संस्कृति का पोषण करने मे जीवन लगा देता है। एक हमारी रक्षा करता है तो दुसरा हमे शिक्षा देता है। एक क्षण भी सैनिक हठ जाए तो बहारी शत्रु हमारे उपर अधिकार जमा लेंगे। और साधु हठ जाए तो बहारी विकृति हमारी संस्कृति को तहस नहस कर देगी। इस धरती माता के इन दोनो वीरले पुत्रो को हम भाव से नमन करते है। देश के सैनिक से ही देश का सिर गर्व से उच्चा है। तो साधु के वजह से ही संस्कृति सुरक्षित है। हमे भी ईन दोनो मे से एक ओर आगे बढना चाहिए। देश की रक्षा करने वाले सैनिक सदा दुसरो के लिए अपने प्राणो को जोखिम मे डालता है। तो दुसरा संस्कृति को बचाने के लिए दिन रात एक करता है। यो दोनो अपने फर्ज पर खड़े है इसलिए हमारा सिर गर्व से ऊंचा है। तो फिर बस हमे इन दोनो को गर्व से नमन करना चाहिए।

प्रमाद का कत्तलखाना
March 25, 2016
सच्चा दान
March 26, 2016

Comments are closed.

Archivers