प.पू. ओजस्वी वक्ता मुनिराज *श्री रजतचन्द्रविजयजी* म.सा. ने लोटस ईन्टर नेशनल स्कूल कानवन के 500 से अधिक छात्र छात्राओं को संस्कार संदेश देते हुए कहा स्कूलभवन ज्ञान का मंदिर है जहां बच्चे अन्धकार से प्रकाश की और बढ़ते है । जहां संस्कारों की सुवास से जीवन आनंदित होता है । नन्हे बच्चे पौधे समान है और शिक्षक उनके माली है । पौधो की रक्षा माली से ही होती है वैसे जीवन की रक्षा गुरुजनों से होती है । बच्चों की पहले गुरु माॅ है जो लालनपालन एवं संस्कारों के बिजारोपण में कोई कभी नहीं रखती है । दुसरे गुरु शिक्षक होते है जो ज्ञानाभ्यास करवाते है । साक्षार बनाते है । तीसरे गुरु संत होते है जो उन्हें ज्ञान के साथ जीवन की दिशा भी प्रदान कराते है । मुनिश्री ने आगे बताया । नित्य माॅ के चरणों का स्पर्श करे । गुरुजनों का सम्मान करे एवं संत से आशीर्वाद लेकर जीवन को संवारे । इस मोके पर स्कूल के सभी शिक्षकगण भी मौजुद थे । प.पू. कार्यदक्ष मुनिराज *श्री पीयूषचन्द्रविजयजी* म.सा. प.पू. मुनिराज श्री प्रीतियशविजयजी म.सा. ने भी आशीर्वाद दिया ।
आगामी आयोजन
प.पू. शासन प्रभावक *मुनिप्रवर श्री ऋषभचन्द्र विजयजी* म.सा. के सुशिष्यरत्न प.पू. युवाह्रदय सम्राट मुनिराज *श्री रजतचन्द्रविजयजी* म.सा. के 37 वें *जन्मोत्सव* पर *कार्तिक पूर्णिमा* दिनांक 14 नवम्बर सोमवार को प्रातः 9 बजे *जीवदया यात्रा* मंदिर परिसर से गौशाला तक जायेगी । वहां गायों को मीठी लापसी एवं घास खिलाई जायेगी तथा दोपहर में *श्री राजेन्द्रसूरि* गुरु पूजन रखा गया है ।