जीवन में कभी भी कुछ भी निर्णय जल्दबाजी में नही लेना चाहिए। जल्दबाजी में लिया निर्णय हमे समाप्त करता है।
निर्णय कुछ भी हो उससे पतन का मार्ग बनता है। हर निर्णय में तर्क, समझदारी, श्रद्धा की जरुरत होती है।
एक घटना मुझे याद आ रही है- एक स्मार्ट सिटी में रमा अग्निहोत्रि नाम की लड़की रहती थी। घर में बस बाप- बेटी थे। रमा export की कंपनी में job करती थी। और उसी समय वो किसी लड़के को दिल दे बेठी। यहाँ पे उसने पिता की बात को भी नही सुना। उसके पिता बोलते रहे, पर बेटी को अपनी बुद्धि पर ज्यादा विश्वास था। पर शायद यहाँ पे उसकी बुद्धि भी साथ नही दे रही थी। मात्र आकर्षक था। और उसमे उसने अपने जीवन की डोर एक गलत इंसान के हाथ में सोप दी।
परिणाम प्रेम से शुरू हुई कहानी में घर बसा। और हिंसा शुरू हो गई। प्रेम तो मात्र दिखावा था। वास्तव में लड़के को उसकी दौलत से मतलब था। और वह तो बस उसकी दौलत से मौज- शौख को पूरा करना चाहता था।
परिणाम में एक ग्रेजुएट लड़की, वेलस्टैंडर्ड लड़की वहाँ पर लाचार हो जाती है। और पुनः BACK होती है पिता के घर पर। परन्तु तब तक उसका दिमाग पुरे रूप से टूट चूका होता है। वह अंदर से हार गई थी। उसे अपने आप पश्चाताप हो रहा था।
तभी तीन माह का समय निकला और फिर एक नया लड़का उसके जीवन में आया। और यहाँ पर भी इसने वही गलती को दोहराया। इस लड़के को भी जानने की कोशिश नही की और आगे बड़ी। यहाँ उसे लग रहा था की उसके सपने पुरे होने वाले है परन्तु वह हर कदम मृत्यु की और बढ़ रही थी।
यहाँ पर भी लड़के को उसकी दौलत से प्यार था और वह मात्र अपने बिज़नेस में युस करना चाहता था। बाकि यह लड़का तो शादीशुदा था। और इसके साथ नाटक कर रहा था। पर वह इसे बिलकुल भी पहचान नही सकी।
पर जब लड़के को लगा की यह उसकी मदद फ़ास्ट नही कर सकती है तो अपने आप को बचाने के लिए इसे उसने हमेशा के लिए सुला दिया।
और बिना सोचे समझे उठाये कदम ने उसके जीवन को समाप्त कर दिया।
“उनके साथ जरूर रहो जिनका वक्त ख़राब है।
उनका साथ छोड़ दो जिनकी नियत ख़राब है।”