आज की लाईफ स्टाइल मे इन्सान को market का तो खुब अनुभव है परंतु घर कैसे चले उसे यह नही आता है। हमे इन सारी बातो का विचार करना पडता है। मुझे जितना market का ज्ञान है उतना ही घर का ज्ञान होना जरूरी है।
आज कल के यंगस्टर्स को कपडो का ज्ञान है लेकिन कपड़े कैसे धोकर साफ होते है यह नही पता है। आज कल की लडकियों को पिज्जा मे वरायटी फ्लेवर पता रहता है पर बात जब घर के सब्जीयो की आती है तो वो नही पता रहता है।
हमे विद्यालय मे गृहस्थ जीवन का भी अभ्यास करवाना जरूरी है। नही तो M.B.A पास करने वाली लडकी को खाना बनाना नही आयेगा तो उसकी जिन्दगी का रंग उतर जायेगा। वह दुनिया को तो जीत जायेगी पर घर हार जाएगी। इससे संसार नही चल सकता है। हमे इन सब बातो का भी ध्यान होना चाहिए।
एक बेटा अगर डॉक्टर बने तो गौरव की बात है। परंतु वह डॉक्टर बनने के बाद घर का फ्यूज उडने के बाद न बदल पाए तो उसकी डाक्टर की डिग्री किसी काम की नही है।
ऐसी ही एक घटना अभी घटी एक लडकी मेरे पास आई थी। उसकी शादी को महज पाँच महीने हुए थे। उसने जीवन का एक किस्सा बताया तो उसकी आँखो मे आंसु थे। वह बोली – साहेब! मेरी शादी को महज दस दिन हुए थे। मेरी सासु माँ ने दो सर्ट दिये थे कि आपको इनको धोना है। ऐसा बोलकर वह तो मंदिर चले गये और मुझे कपडे धोने ही नही आये। मेने YouTube पर इन्डियन स्टाइल कपडे धोने की तरिके देखती गई और दो घंटे तडप कर मेने शर्ट धोये।
ऐसी हालत जब इन्सान की हो जाती है तब वह क्या करेगा?
मुझे घर की एक भी बात का ज्ञान नही था। हर जगह पर मै शुन्य साबित हो रही थी। रोटी बनाती तो वह हिन्दुस्तान का नक्शा बन जाता। सब्जी के मसाले तक के नाम नही पता थे। रसोईघर मे इस्तेमाल होने वाले सामान की भी जानकारी नही थी।
अब बहुत महसूस होता है कि अगर उस समय माँ की बात मानी होती तो कदाचित यह दिन नही आये होते।
अब उन्हे भी कुछ नही बोल सकती क्योंकि मे ने शादी अपनी मर्जी से करी थी।
उसे एहसास हो गया महज पाँच महीने मे ही अगर यह सब सिखा होता तो मेरी हालत यह नही होती।
“अब आपको किस दिश मे जाना है यह आपको स्वयं सोचना है ताकि आपका जीवन सुंदर बना रहे।”