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सर्वे

समग्र एशिया की सबसे बड़ी झोपड़पट्टी मुम्बई मे है। जहाँ चित्र विचित्र प्रकार के लोग रहते है। जिनकी education एक दम कम और काले धन्धे एक दम ज्यादा है।

दारू, जुआ चोरी जैसे काम करने वाले यहाँ ज्यादा प्रमाण में रहते है। वर्षो पहले मुम्बई महानगर पालिका ने एक सर्वे कराया की इस झोपड़पट्टी में रहने वाले लड़के 20 years बाद कैसे होंगे।

प्रश्न बड़ा ही जबरदस्त था। सर्वे का काम 1 साल तक चला। सर्वे टीम ने बच्चों से अनेक प्रकार के प्रश्नो को पूछा। कही प्रकार की तलाश की। last में एक साल बाद सर्वे टीम में रिपोर्ट दी।

उन्होंने रिपोर्ट में बनाया की झोपड़पट्टी में अनेक प्रकार के व्यसनो ने अपना अड्डा बना रखा है। चोरी करने वाले लोगो का ज्यादा प्रमाण है। यहाँ के लोगो की धंधे की छाप बालको पर पड़ती है। बालक उनको देख कर वही संस्कार ग्रहण करते है। इसी कारन वह भी इन गौरखधंधे में रस रखते है। यहाँ आश्चर्यजनक बात ये हैं कि 95% बालको ने सर्वे में ऐसा कहा है की हम बड़े हो कर दारू का धंधा करेंगे चोरी करेगे और अनैतिक धंधा करेगे।

परन्तु 20 सालो के बाद परिणाम कुछ अलग ही आया। 95% बालक अनैतिक धंधा करने वाले थे इसके बदले 95% बालको युवान बनकर के अच्छा व्यवसाय या नौकरी कर रहे थे।

सर्वे करने वाली टीम चक्कर खा गयी की ऐसा बन कैसे सकता है। हमे फिर से तलाश करनी चाहिए।

उन्हें जानने को मिला की झोपड़पट्टी में एक शिक्षका बहन रहते थे और उसी ने बालको में संस्कारो का सिंचन करा था। बालक पड़ने नही बैठते थे पर उसने बड़े प्रयत्न करके अभ्यास का महत्व समझाया। अनैतिक धंधो के गैरफायदे बताये। उनको धीरे धीरे प्रेम से इस तरफ मोड़ा। यह सारी बात उस बहन ने नही बताई बल्कि वहा के लोगो ने की थी। उस बहन को पता भी नही था की उसने इतना बड़ा काम कर दिया।

इस समय शिक्षिका बहन की age 60 years की थी। सर्वे टीम ने जा कर के उनके पास बात करी की उन्होंने साइंटिफिक सर्वे को गलत साबित कर दिया तब शिक्षिका की आँखों में से आँसू गिर गए।

सार यह है की शिक्षक चाहे तो अच्छे अच्छे संशोधन को पलट सकता है। अरे वह धारे तो झोपड़पट्टी नही पूरा विश्व बदल सकता है। संस्कारी बना सकता है।

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