Archivers

आत्मा की अकाउंट्सी (Accountancy)

Modern accountancy का base formulla hai –

“Debit what comes in
Credit what goes out”

ये अकाउंट्सी के सूत्र हमारे लिए खुब उपयोगी मजे का साधना सूत्र है।

Credit what goes out

क्रेडिट यानि यंश, क्षेय, सफलता का ताज।
काम हमे करना और यंश हमेशा सब को देना।
क्षेय सदा दुसरो को देना।

कितना मजा आता है जब हम यंश भोजन करवाते है। लड्डू, पेडे, गुलाबजामुन, रसगुल्ले से भी ज्यादा मन भावन वानगी क्रेडिट यंश होता है।

भोजन मे तो और कभी ऐसा बनता है किसीको दुधपाक भाता है तो किसी को बिल्कुल नही भाता है। गुलाबजामुन राम को खुब भाते है तो श्याम को बिल्कुल नही जमते है। कोई ऐसा अजीबोगरीब भी होता है जिसे केरी का रस या आम के गट्टे बिलकुल भी नही भाते है। परंतु “श्रेय” एक ऐसी वानगी है जो सभी को खुब भाती है। जमणवार मे अच्छी वानगी हो तो जमणवार करने वाले को खुब श्रेय मिलता है।

परंतु श्रेय जैसी श्रेष्ट, उत्तम अतिमधुर सबकी मन भावन वानगी का करा हो तो कितना सारा यश मिल जाता है।

ओ हो….. कितने निः स्पृह, कितने नम्र, कितने उदार काम खुद ने करा और क्रेडिट दुसरो को दे दी। फिर तो उस यश का भी जमणवार कर देना। ” भाई इसमे मेरा कुछ भी नही है, बस यह सब तो देव गुरु की कृपा है”। यंश का भोजन कितना मजेदार है। जिसमे भोजन का आमंत्रण हम देव- गुरु को भी दे सकते है।

Credit what goes out से थोडा कठिन सूत्र है Debit what comes in Debit यानि निष्फलता की जवाबदारी। Debit अपयंश कोई भी सामुहिक कार्य मे सफलता नही मिली थी। निष्फलता मिली तो दौड कर आगे पहुंच जाओ कि मेरी भूल हो गई। मेरे से गैर समझ हो गई। उस समय निष्फलता सफल बन जाती है। निष्फलता भी कृतकृत्य बन जाती है। निष्फलता भी धन्य बन जाती है। और इस तरह सामने से अपयंश की कडवी थाली चिन लेनेवाला सभी मे प्रिय बनेगा या अप्रिय? । उसकी प्रशंसा होगी या टीका? उसको यंश मिलेगा या अपयंश?
चमत्कार हो जाएगा। अपयंश का चिरायता यंश दुधपाक मे कनवर्ट हो जाएगा।

तो फिर चलो हम इस अकाउंट्सी के फोरमुले से अपने जीवन को आत्मसात करो। और जीवन को महकाय ।।

शिक्षक कभी भी साधारण नही होता है
May 9, 2016
उखेडे को उद्यान बनाए
May 9, 2016

Comments are closed.

Archivers