एक अजीब घटना है। ” जीवन ” इस शब्द के अर्थ को हम शब्दकोश मे ढूंढ रहे है। खोज रहे है। पर जीवन का अर्थ तो आपको स्वयं के जीवन मे खोजना पडेगा। जगत मे जितने भी सिर है उन सारे सिरो के लिए जीवन का अलग- अलग अर्थ है। गंगा की पुजा गंगा जल से करनी पड़ती है। इस जीवन का प्रवाह भी गंगा के प्रवाह जैसा है। गंगा दुषित है तो भी गंगा है। गंगा मैली है तो भी गंगा है। गंगा क्षीण है तो भी गंगा है। इस भारत देश मे जो ईश्वर को नही मानते है ऐसे नास्तिक भी गंगा की संस्कृति महत्व से प्रभावित हुए है। जीवन भी ऐसा ही है। जीवन कितना ही खराब हो, तो भी वह पवित्र ही है। यह जीवन वह कर्मो से मिला है। और इसी जीवन से मानव भगवान बन सकता है। अपने जीवन जीने की शैली से वह अपने सारे कर्मो का नाश कर सकता है। बस वह जीवन को क्या समझता है यह उसके हाथ मे है।
क्रिकेट के खेल मे भी हम इस जीवन के रहस्य को खोलकर देख सकते है। जब हम बैटिंग कर रहे होते है, तो हमको हर पल, हर क्षण झूठ की बोलिंग का सामना करना होता है। स्लिप मे राग आपका कैच पकड़ने के लिए आतुर है। लेग पर द्वेष नाम का फिल्डर खडा है। मोडन पर लोभ है तो मीडोफ पर माया खडी है जो आपको आउट करने मे त्तपर है। और हमे इन सबसे बचकर ही जीवन को खडा करना है। अगर हम इन सबके सामने बिना आउट हुए खेल सकते है तो इस जीवन का भावार्थ समझ सकते है। नही तो यूही हम इस जीवन को पुरा कर देंगे। क्योंकि संसार वह एक रण है। और इस रण मे मानव तभी विजय होगा जब वह इन सब दोषो से बचकर अपना सर्जन करता है। तो बस हमे इस जीवन को श्रवन, स्मरण और आचरण से भव्य बनाना है, ताकि दुनिया आपके जीवन को देखकर जीवन शब्द का भावार्थ जान सके ।।