रिश्ते, नाते, संबंध, दोस्ती और प्रेम यह तो शेयर मार्केट की तरह होते है। यह कभी स्थिर नही होते है। इसमे कभी Up’s तो कभी Down’s होता रहता है। और इस up nd Down’s मे कभी स्थिरता नही होती। पर यह लगातार चलता है। इसमे कोई धोका देता है झगडा करता है तब हमे ऐसा लगता है कि इसमे कुछ भी रहा नही है । सारे संबंध स्वार्थ के होते है। गरज पर ही रश्ते बनते है और गरज तक ही लोग अच्छे रहते है। काम हुआ यानी कार्य समाप्त रिश्ता खत्म परन्तु एसे ऐसा कभी नही होता है ।
एक फुल खराब आता है तो क्या हम सारे फूलो के टोकरे को फैक देते है? बिल्कुल भी नही तो फिर क्या एक इन्सान ने हमारे साथ बुरा करा तो क्या इसके साथ सारी दुनिया ने बदमाशी के लेबल लगा देना नही चाहिए । किसी नजदिक के व्यक्ति ने हमारे साथ धोखा करा हो तो ऐसा नही होना चाहिए कि सारी दुनिया भरोसा करने जैसी नही है । हम अगर प्रयत्न करते है तो किसी के जाने के बाद जीवन मे हुआ अकेला पन भरा भी जाता है। और अगर हम किसी को पास आने ही नही दे तो हमे हमारा ही अकेला पन खा जाता है।
एक व्यापारी था। अचानक से ही उदास हो गया। वह एकदम से गुमसुम और अकेला रहने लगा। उसका स्वभाव भी झगडालू हो गया। पडोसी ने सोचा जरूर इसके दिल मे कुछ तो बात है जिस कारण से यह एक दम अकेला पड गया है वह कारण मुझे कैसे भी मुझे जानना ही होगा और यह सोच कर अगले दिन से उसे रोज गुड मोर्निंग करना स्टाट कर दिया। एक दिन- दो दिन यह क्रम सात दिनो तक चलता रहा। सामने से कोई जवाब प्रतिउत्तर नही आया।
आठवे दिन गुड मॉर्निंग करा और व्यापारी महोदय उस पर भडक गए। नाराज हो गए। मै तुमसे बात ही नही करता हूँ तो भी तुम मुझे परेशान करते हो। मै किसी के साथ कोई संबंध नही चाहता। दुनिया पुरी धोके बाज है ।
उस व्यक्ति ने पुछा ऐसा क्या हो गया की पुरी दुनिया को ही गलत कर रहे हो? उसने कहा मेरे पाँच दोस्तो ने मेरे साथ धोखा किया । अब मुझे किसी पर भरोसा नही है। किसी के साथ संबंध नही रखना। आप पाँच लोगो से ऐसा थके की पुरे जग के साथ जंग?
आप मेरे साथ बैठो, एक बात पुछता हूँ। आप बिजनेसमैन हो। आप जब नया धंधा स्टाट करते हो तब रिक्स फैक्टर काउट करते हो या नही? वह बोला करता हूँ । अरे भय्या हर धंधे मे रिक्स तो होता ही है । से. 15% रखते है उधारी मे से गिन कर चलते है ।
तो फिर शहर मे जितने लोग है उन मे से पाँच खराब निकले तो टके वारी गिनो तो कितनी होगी? 0.00 मे ही आएगा। तो फिर इतना तो रिक्स फैक्टर रहने वाला ही है। फिर उसके लिए दुनिया से क्या जंग करना।
और फिर वो सेठ हसने लगा।
हमे भी हमारे जीवन मे संबंधो मे रिक्स फैक्टर डिसाइड करना ही पड़ेगा ।
किसी के धोखे के कारण जिंदगी के साथ धोखा करना कदापि उचित नही है ।
रिश्ते, नाते, संबंध, दोस्ती और प्रेम मे रिक्स फैक्टर की गिनती तो रखना ही चाहिए क्योंकि हर रिश्ता रिक्स की होता है। ऐसा नही है। परन्तु हमने अगर गिनती रखी होगी तो आघात नही लगेगा। इसलिए जीवन मे सदैव इस बात का ध्यान रखना की संबंध खत्म हो जाने से जिंदगी खत्म नही होता है।
” जब तक सास है टकराव मिलता रहेगा
जब तक रिश्ते है घाव मिलता रहेगा
पिठ के पिछे जो बोलते है उन्हे पिछे ही रहने दो
रास्ता सही है तो गैरो से भी लगाव मिलता रहेगा”।।