गुरुवर आपकी बात ऐसी मीठी-मीठी होती है की सुनते सुनते थकते ही नही है। कानो में जैसे अमृत डालते हो ऐसा आनंद आपकी वाणी में आता है।
मालवा के भगवान कहे वाले गुरुवर के पास उनकी सरल भाषा से आकर्षित होकर रोज हज़ारो लोग दर्शन और सत्संग के लिए आते है।
उनकी उच्चकोटि की सरलता ही लोगो के जीवन को परिवर्तित करती थी। उनके पास दृष्यन्तो का तो भंडार था वह हर एक समस्या का समाधान दृष्टान्त के साथ इस तरह से करते है की सामने वाला संतोष रस तरबतर हो जाता है।
एक सत्संगी ने गुरु की वाणी की प्रशन्सा करी तो दुसरो ने भी हामी भरी अरे सही में गुरुवर एक-एक शब्द ऐसे बोलते जैसे चासनी में डुबोकर बोले हो ऐसे मीठे लगते है।
एक दिन एक भक्त ने गुरुवर से पूछा गुरुवर मन में कितने ही समय से एक प्रश्न उठ रहा है। आपकी मीठी वाणी अकोधवाला स्वभाव सभ्यतापूर्ण व्यवहार और सरलता को देखकर एक बार आपके पास आया हुआ व्यक्ति आपका शिष्य बन जाता है। आप इतने विद्वान हो तो भी आपको कभी घमन्ड स्पर्श नही कर पाया इन सबका रहस्य क्या है??
गुरुवर ने हस्ते-हस्ते कहा आज आपने बड़ा ही सुन्दर प्रश्न पूछा है। पर इसमें कोई रहस्य नही। एक कहावत में इसका जवाब आजाएगा “जबान शीरी तो जहान शीरी” जिसकी जबान मिठी उसके लिए संपूर्ण जगत शहद जैसा मीठा हो जायेगा ।
एक भक्त ने पूछा जबान मीठी करने के लिए क्या करना चाहिए।
गुरुवर ने कहा मात्र नरक के लिए नही दिल से मीठा बोलना चाहिए और उस के लिए एक मात्र यही रास्ता है। और जगत में रहे सारे धर्मो उपनिषदों का सार भी है।
जो शब्द हमको सुनने में अच्छे नही लगते हो उन्हें कभी भी दुसरो के लिए प्रयोग नही करना।”
इस वाक्य को हमने जीवन में अंगीकार कर लिया। हर मानव के दिल पर आपका राज्य स्थापित हो जायेगा।
” चाय बिगड़े तो बिगड़ने दो
कपडे जले तो जलने दो
दुकान में नुकसान हो तो नुकसान होने दो
पर किसी को ऐसा कभी मत बोलो
जिससे आपका बरसो का रिश्ता बिगड़ जाये”।