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जिंदगी ख्वाब है

आँख मिचते है और कोई पलको के दरवाजे खोलकर अंदर आ जाते है। वह सपना हमारी गैरहाजिरी मे हाजिरी बताता है। जब हम सोते है तब यह घोड़े चढता है। सुषुप्त मन इसके ऊपर सपनो का पुरा शास्त्र है।

यह ऐसी दुनिया मे ले जाता है जिसकी हमने कल्पना भी नही करी होगी। जब हम बैड पर सोये होते है तब यह सात समुंद्र पार की सेर कर देता है। यह हमे हिरो भी बना देता है विलन भी बना देता है। और रंक भी बना देता है। सपनो की दुनिया मे बालक बूढा बन जाता है और बूढा बालक बन जाता है। हमारा सुषुप्त मन जादूगर बन जाता है।

सपने इन्सान के जीवन का अनोखा अंग है। इन्सान सपनो के साथ जीता है। और सपने छोडकर मरता है। हर आदमी को सपने देखने का अधिकार है। हर आदमी को सपने रचने चाहिए पर बंद अाँखो वाले सपनो पर नही, खुली आँखो वाले सपनो के ऊपर श्रद्धा रखनी चाहिए।

बंद आँखो के सपनो पर हमारा नियंत्रण नही होता है। पर खुली आँखो के स्वप्न की रंगोली मे हम चाहे वह रंग भर सकते है। बस आप अपने स्वप्नो पर चिपके रहो। उस सपनो को खिसकने मत दो। सपनो का सर्जन ही मात्र साकार होने के लिए होता है। सपनो को साकार करने के लिए हथोडी चीनी लेकर बैठना पडेगा। और उसे आकार देना होगा। एक मूर्ति को भी रमणीय और मनोहर बनने से पहले हजारो लाखो चोटो को सहन करना पडा है तभी उसमे निखार आता है। जो इन्सान मेहनत से नही डरता है उसके सपने जीवन मे साकार होते है।

आलसी के सपने को लखवा लग जाता है। होठ फडफडाते है। पर आवाज नही निकलती है। आलस स्वप्न को अपंग बना देता है। सोये हुए का स्वप्न आँख खोलते ही समाप्त हो जाता है। जागते हुए का स्वप्न हमेशा जीवित रहता है।

स्वप्नो को देखो, स्वप्नो को सिंचो। स्वप्न पुरे न हो तब तक जीवित रखो। स्वप्नो को साकार करने के लिए हमेशा परिश्रम करने का संकल्प करो। यह जो करता है वही इन्सान महान बन जाता है ।।

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