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औचित्य माता पिता का – भाग 19

अपनी त्रुटियां खोजो।

सभा: माता पिता हमे मूर्ख कहे तो?

तो प्रेम से सुन लें ।सामने जवाब न दें । सोचें कि इतने वर्ष होने के बाद भी माता पिता को अभि तक मुझे मूर्ख कहना पड़े तो जरूर मुझमे कोई त्रुटि होगी । मुझे वह त्रुटि खोजनी चाहिए तथा खोजकर सुधारनी चाहिए ओर दूसरी बात की माता पिता मूर्ख किसे कह सकते है? जिसमें कुछ योग्यता हो उसे ही न? अयोग्य से कहने जाएं तो सामने ही बोल देगा कि में मूर्ख तो तुम….. इसलिए मुझे मूर्ख कहा तो अवश्य मुझमें कुछ योग्यता है जो माता पिता ने देखी है। तो मुझे मेरी योग्यता को विकसित करना चाहिए माता पिता को संतोष हो ऐसा करना चाहिए माता पिता के कठोर शब्दो को अमृत समझकर जिसकी पीने तैयारी होगी, वही विनय गन को आत्मसात कर सकेगा ओर ऐसा आप कर सकोगे तो ही माता पिता की भक्ति कर सकोगे।

आपने प्रभु के शासन को प्राप्त किया है। संसार से उद्धार का आपका ध्येय है। दुर्गति में जाना नहीं है, मोक्ष में ही जाना है। यह सब करने के लिए उसके अनुरूप विचार , वाणी तथा काया का व्यवहार होना आवश्यक है।

पहले भी कह चुका हूं वैसे उनके प्रश्नो – पृच्छाओं में हां ना नही बल्कि हाजी नाजी के रूप में ही जवाब देना चाहिए ! यह बात चल रही थी आपकर ह्रदय की कोमलता , कुमाश, विनय, सहानुभूति , जीवन्तता का आपके माता पिता को बराबर अनुभव होना चाहिए आपके पुत्र पुत्री अथवा सेवक के प्रति आपको जो अपेक्षा हो , वे कैसा व्यवहार करें तो आपको पसंद आए? बस , ऐसी अपेक्षा तथा ऐसा व्यवहार आपके माता पिता आपसे रखते हैं ऐसा मानकर उनके प्रति आपको ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए वे अपेक्षा न रखे , यह उनकी महानता है किंतु आपका कर्तव्य क्या है ? यह आप सोचो!

सभा: हां जी ना जी जेसी भाषा प्रयोग करें स्नेहपूर्ण व्यवहार करें तो चिढ़ जाते है।

विनयपूर्वक व्यवहार करना आए तो कभी न चिढे।दिखावा करो तो चिढ़ जाए यह हो सकता है। ह्रदय का भाव उनके भाव पर असर करता ही है माता पिता कहीं जड़ नहीं हैं। तुम्हारे अपने माता पिता है। उनके ह्रदय में आपके लिए अपार स्नेह भरा पड़ा है। जो व्यवहार आप करो वह निष्ठापूर्वक, ह्रदय की सच्चाई भर हो तो उनके चिढ़ने की कोई वजह ही नहीं है। विनीत बालक , विनय से भरी सन्ताने देखकर तो माता पिता ऊपर से खुश होते हैं। उन्हें भी खुशी होती है और पूछते हैं कि बेटा! किसने सिखाया ? कहा से सिख कर आया ?फिर बेटा कहता है कि महाराज साहब के व्याख्यान में सुना तब से भाव जागा ओर यह शुरू किया है। तो सुनकर माता पिता को भी धर्मोपदेशक के प्रति आदर प्रकट होगा । धर्मस्थान तथा धर्म के प्रति आदर प्रकट होगा

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