यह वर्तमान समय का एक चमत्कार ही है कि टी.वी., सिनेमा, मोबाइल, कंप्यूटर, इंटरनेट, फेसबुक, व्हाट्सअप, होटल, डिस्को, बंगला, गाड़ी आदि भौतिक सुखों और आधुनिक अंग्रेजी शिक्षा पद्धति के इस युग में भी सैकड़ों की संख्या में नई पीढ़ी के उच्च शिक्षित अमीर-गरीब सभी परिवारों के युवक-युवतियां जिन शासन के संयम मार्ग को ग्रहण कर उसका उत्कृष्ट पालन करते हुए चारित्र धर्म का डंका पूरे विश्व में बजा रहे हैं , यह अपने आप में इस दुनिया का एक अनूठा अजूबा है ।
जैन शासन के चरम तीर्थंकर प्रभु महावीर स्वामी के निर्वाण के समय ऐसी भविष्यवाणी हुई थी कि अगले 2500 वर्ष तक जिन शासन पर भस्म गृह का प्रभाव रहेगा पर उसके पश्चात् जैन शासन का अभ्युदय होगा ।
पिछले कुछ समय से शासन में जिस प्रकार बड़े पैमाने पर दीक्षाएं हो रही है उसे देखकर ऐसा लगता है कि वह अभ्युदय यानी स्वर्णिम काल प्रारम्भ हो चूका है ।
आपको कोई कहे कि ऐसा व्यक्ति ढूंढकर लाओ जो ज़िन्दगी भर बिजली का उपयोग न करता हो , वाहन में न बैठता हो , स्नान न करता हो , बैंक में जिसका खाता न हो , जिसके पास रहने के लिए घर न हो , गांव में खेत न हो , जो पैसा न कमाता हो , जो विवाह न करता हो , जिसका परिवार न हो , पैर में जुते न पहनता हो , जिसके पास 2 जोड़ी कपडे हों , जिसके पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, पैन कार्ड, ड्राईविंग लाईसेंस आदि न हो , जिसे पासपोर्ट की जरुरत न हो , जिसे दर्जी, नाई, मोची, सुथार, लुहार, घांची, तेली, वणिक आदि लोगो की जरुरत न पड़े और फिर भी जो सदैव सुखी रहे , तो आपको कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं, जैन साधू – साध्वी के रूप में ऐसे हजारो व्यक्ति आपके आस पास विचरण करते हुए नज़र आ जाएंगे ।
भारत का संविधान 1950 में बना था और अब तक 64 सालों में इसमें 100 से अधिक संशोधन हो चुके हैं परंतु एक संविधान आज से 2573 वर्ष पूर्व शासन स्थापना के दिन भगवान महावीर ने साधू-साध्वियों के लिए बनाया था जो आज तक एक बार भी परिवर्तित नहीं हुआ ।
2573 वर्ष पूर्व जैन साधू-साध्वी जी जो जीवन जीते थे, आज के आधुनिक चकाचौंध भरे युग में भी वे लगभग वैसा ही जीवन जी रहे हैं ।
*नमो लोए सव्व साहूणं*