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जैन को शिक्षा की आवश्यकता है

आज विश्व बहुत तेजी से विकास कर रहा है। आज हमारे पास हमारे भविष्य को तैयार करने के लिए एक भी राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा हब नही है, जो जैनो का हो और जाहाँ से जैनो को तैयार किया जाता है। जहाँ जैनो का विशेष ध्यान रखा जाता हो ।

हमारे पास यह hub नही है। और अगर आज हमने इसे तैयार नही किया तो कल हमारा शिक्षित वर्ग मन्दिर और उपाश्रय मे नही आयेगा। अगर हमे धर्म को जिवन्त रखता है तो सबसे पहले हमे हमारे सिस्टम मे शिक्षण को महत्व देना होगा। अगर हम शिक्षण को स्थान देंगे तो ही आने वाला वर्ग मन्दिर- उपाश्रयो मे आएगा।

आज हमारे घरो के लडके शिक्षा के लिए दुसरो पर निर्भर है। वहाँ की शिक्षा के साथ हमारे संस्कार गायब हो रहे है। हमे इस पर ब्रेक लगाना है। तो हाई टेक्नोलाजी से युक्त शिक्षण संस्थानो को खना करना होगा। यह संस्थान को सर्व सुविधा युक्त बनाना होगा। और इन संस्थानो के माध्यम से धर्म संस्थानो को जीवन्त रखना होगा।

हमे हमारी शिक्षण प्रणाली को प्रारंभिक स्तर से लगाकर M.B.B.S, M.B.A, इन्जीनियरींग, MB तक के संस्थान की आवश्यकता है जहाँ से हमे संस्कारित बच्चो का प्रोडेकशन कर सकते है।

इस प्रणाली से जीवन का विकास किया जा सकता है। जहाँ पर बालक मे अच्छी शिक्षा के साथ धार्मिक संस्कारो का बीजारोपण हो सकता है। प्रभु वीर के सिद्धान्तो को दुनिया मे फैलाने का यही साधन सबसे श्रेष्ट है। इसके माध्यम से हम अनेकान्त वाद का रास्ता दुनिया को बता सकते है। एक मजबूत आस्तिक प्रजा भविष्य मे दी जा सकती है। हमारे बच्चो को अन्य शिक्षण संस्थानो पर शिक्षा के लिए गरज नही करनी पडेगी। उन्हे समाज के प्रति बहुमान होगा कि समाज उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए कार्य कर रहा है। वह हमेशा जैन शासन के प्रति समर्पित रहेगा। और इसे प्रसारित करेगा।

तो बस चलो हम आज की इस समस्या को समझ कर इसे सुलझाने का प्रयास करे और सम्प्रति महाराजा की तरह संकल्पित बने के मुझे जिनालय के साथ विद्यालयो का निर्माण भी करना है। जिसके माध्यम से मेरे बच्चे जिनालय तक जा सके।

चलो समय आ गया है। विद्यालय हे जिनालय का मार्ग बनाए ।।

दुसरो को बदलने से पहले खुद को बदलिए
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साधन हमारे लिए है हम साधनो के लिए नही हैं।
June 15, 2016

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