आज हम ऐसे नौजवान की बात करते है जिसने एक सामान्य घर मे जन्म लेकर विश्व मे अपने गाँव बेलगाम नाम चमकाया है। ऐसे युवा उद्यमी दिपक दाधोति कि बात आज हम यहा करेंगे।
लेकिन आज आई आई टीयन दीपक जैसा बनना चाहते है। अरे एक नौजवान 1987 मे मेकेनिकल ब्रान्च मे एडमिशन लिया। गाँव मे ही रह कर के इस व्यक्ति ने मेहनत करना प्रारम्भ कर दिया। शायद हमारी सोच होती है जब इन्सान छोटे गाँव मे और मध्यम परिवार मे जन्म लेता है। तो उसका जीवन वही सीमट कर रह जाता है। पर दीपक कुछ अलग थे। दिपक ने इजीनियरींग सहज रूप से चुना था। वह तो सिर्फ तैरना चाहता था। न सिर्फ तालाब मे बल्कि महासागर मे भी।
1991 मे इंजीनियर बन कर के बहार निकला। Job करने लगा पर उसके विचार कुछ और बनने का बोलते थे।
बस वह तो तैयार था हर परिक्षा देने के लिए। फिर अचानक से उसे अमेरिकन कंपनी मे से Job आफर मिला। और उसने स्वीकारा और फिर दुनिया घुमने लगा।और बाहर की दुनिया ने उसकी सोच को बदल दिया। पर उसके दिमाग मे और दिल मे अभी भी संतुष्टी नही थी। उसने तो सपना संजोया। अरे उसे तो देश के लिए कुछ करना था। गाँव का गौरव बनना था। दुनिया बेलगाम को पहचाने ऐसा करना था। अरे 2002 मे वे इन्डिया मे आया। घर मे लोगो को था कि यह तो 6 महीने मे पुनः अमेरिका भाग जायेगा। बस युही सब से मिलने आया है। पर वह तो नौकरी छोड़कर एक सहास से भरी लम्बी छलांग लगाने आया था। अरे वो तो बेलगाम को केलिफोर्निया बनाने आया था।
और उसने अपने भाई के साथ अपने घर के गेरेज मे से गाडी को बाहर निकाला और उस गेरेज को ही लेब बना दिया। वह एक नये जीवन की शुरुआत करी ” सर्वोकंट्रोल्स इन्डिया ” नाम की कंपनी बनाई।और हर मुश्किलो को पार करते हुए उसने इस कंपनी को उपकरण इम्पोर्ट करने 10 मिलियन डॉलर की जरूरत थी। फिर इतने रूपये उसके पास नही थे। 2002 मे घर के गेरेज से शुरू कर कंपनी ने आज वह मुकाम हासिल किया कि आज वह 10 सालो के बाद भारतीय विमान और डिफेंस का सबसे बड़ा सप्लायर है।
यह वह इन्सान था जिसने अपने पंखो को फैलाया और देश- विदेश के बेहतरीन संस्थानो पर खुद ही छाप छोड़ी और फिर अपने घर लौटकर अपने सपनो को नया आयाम दिया।
दीपक एक समय नास्तिक था पर आज वह जैन सिद्धांत अनेकांतवाद और स्याद्वाद से प्रभावित हुए और उनका मानना है कि इस सिद्धांत से हमारे द्रष्टि कोण मे परिवर्तन आता है।
और यह जीवन और बिजनेस दोनो के लिए उपयोगी है।