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प्रभु के प्रति ऐसी दिवानगी आये तो जीवन तर जाये

एक आदमी क्रिकेट के प्रेम से भयंकर पीड़ा पा रहा था।
क्रिकेट की उसको जबरदस्त दिवानगी थी
क्रिकेटरो की सत्ता को गाता………..
क्रिकेट और क्रिकेटरो की समृद्धि को गाता……….
विश्व में होती क्रिकेट की प्रगति को गाता…….
उसकी बात बात में बस एक बात……..
क्रिकेट क्रिकेट और क्रिकेट!
अरे क्रिकेट का दिवाना तो वो कैसा था ?
कही पर क्रिकेट का नाम पढ़ता तो खुश हो जाता……
क्रिकेट का मैदान देखता तो खुश हो जाता……
कोई क्रिकेट खेलने की बात करता तो खुश हो जाता……
किसी का क्रिकेट टीम में सेलेक्शन हो जाता तो उसे अभिन्दन करने जाता….
अरे साल 5 से 6 टूर क्रिकेट टीम के साथ में लगाया…….
अरे दीवानगी तो इस तरह थी के वह तो वही वस्तु ख़रीदता जिसका सम्बन्ध क्रिकेट से हो…..
ऐसी जबरदस्त जोरदार दीवानगी उसको लगी थी ।
मेरे दिल पर मेरे मन पर प्रभु नाम की दिवानगी कब चढेगी?
अरे मेरे कानो में सिर्फ अरिहंत शब्द की आवाज़ आये
और रोमांच खड़ा हो जाये
अरिहंत परमात्मा की प्रतिमा के दर्शन हो और मेरी आँखे आँसुओ से भीनी हो जाये!
अरिहंत बनने के मार्ग पर चलते साधक पुरुषो को निहार कर मेरा हृदय गदगदीत हो जाये ।
अरिहंत बनने की इच्छा क्या मुझे होगी ?
बस सिर्फ और सिर्फ तेरे गुणों को गाने का ही मेरा मन हो। जगत में किसी भी व्यक्ति में कोई भी गुण देखू तो बस
अरिहंत परमात्मा की विराट गुण समृद्धि का ही अंश है। ऐसी समझ हो जाये जिससे किसी का छोटे से छोटा गुण भी मिल जाये तो अरिहंत प्रभु के अंश मिले है, इन भावो से मेरा ह्रदय भर जाये ।

बस त्रिभुवन शिरताज!
मेरे ह्रदय में अरिहंत प्रभु के प्रति ऐसी
दिवानगी प्रगट करदो जिससे मेरा बेडा पार हो जाये।

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