Archivers

लालच बुरी बला है

एक शहर में एक आदमी रहता था।
वह बहुत ही लालची था। उसने सुन रखा था की अगर संतो और साधुओं की सेवा करे तो बहुत ज्यादा धन प्राप्त होता है।
यह सोच कर उसने साधूसंतो की सेवा करनी प्रारम्भ कर दी।
एक बार उसके घर बड़े ही चमत्कारी संत आये।
उन्होंने उसकी सेवा से प्रसन्न होकर उसे चार दीये दिए और कहा,”इनमे से एक दीया जला लेना और पूरब दिशा की ओर चले जाना जहाँ यह दीया बुझ जाये, वहा की जमीन को खोद लेना,
वहा तुम्हे काफी धन मिल जायेगा। अगर फिर तुम्हे धन की आवश्यकता पड़े तो दूसरा दीया जला लेना
और पक्षिम दिशा की ओर चले जाना, जहाँ यह दीया बुझ जाये,
वहा की जमीन खोद लेना तुम्हे मन चाही माया मिलेगी।
फिर भी संतुष्टि ना हो तो तीसरा दीया जला लेना और दक्षिण दिशा की ओर चले जाना।
उसी प्रकार दीया बुझने पर जब तुम वहाँ की जमीन खोदोगे तो तुम्हे बेअन्त धन मिलेगा।
तब तुम्हारे पास केवल एक दीया बच जायेगा और एक ही दिशा रह जायेगी। तुमने यह दीया ना ही जलाना है और ना ही इसे उत्तर दिशा की ओर ले जाना है।
यह कह कर संत चले गए।
लालची आदमी उसी वक्त पहला दीया जला कर पूरब दिशा की ओर चला गया। दूर #जंगल में जाकर दीया बुझ गया।
उस आदमी ने उस जगह को खोदा तो उसे पैसो से भरी एक गागर मिली। वह बहुत खुश हुआ।
उसने सोचा की इस गागर को फिलहाल यही रहने देता हूँ, फिर कभी ले जाऊंगा। पहले मुझे जल्दी ही पक्षिम दिशा वाला धन देख लेना चाहिए।
यह सोच कर उसने दुसरे दिन दूसरा दीया जलाया और पक्षिम दिशा की ओर चल पड़ा। दूर एक उजाड़ स्थान में जाकर दीया बुझ गया।
वहा उस आदमी ने जब जमीन खोदी तो उसे सोने की मोहरों से भरा एक घड़ा मिला।
उसने घड़े को भी यही सोचकर वही रहने दिया की पहले दक्षिण दिशा में जाकर देख लेना चाहिए।
जल्दी से जल्दी ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने के लिए वह बेचैन हो गया।
अगले दिन वह दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा।
दीया एक मैदान में जाकर बुझ गया। उसने वहा की जमीन खोदी तो उसे हीरेमोतियों से भरी दो पेटिया मिली। वह आदमी अब बहुत *खुश था।
तब वह सोचने लगा अगर इन तीनो दिशाओ में इतना धन पड़ा है तो चौथी दिशा में इनसे भी ज्यादा धन होगा।
.
फिर उसके मन में ख्याल आया की संत ने उसे चौथी दिशा की ओर जाने के लिए मन किया है।
दुसरे ही पल उसके #मन ने कहा,” हो सकता है उत्तर दिशा की दौलत संत अपने लिए रखना चाहते हो। मुझे जल्दी से जल्दी उस पर भी कब्ज़ा कर लेना चाहिए।
ज्यादा से ज्यादा धन प्राप्त करने की लालच ने उसे संतो के वचनों को दुबारा सोचने ही नहीं दिया।
अगले दिन उसने चौथा दीया जलाया और जल्दीजल्दी उत्तर दिशा की ओर चल पड़ा।
दूर आगे एक #महल के पास जाकर दीया बुझ गया।
महल का दरवाज़ा बंद था। उसने दरवाज़े को धकेला तो दरवाज़ा खुल गया। वह बहुत खुश हुआ।
उसने मन ही मन में सोचा की यह महल उसके लिए ही है। वह अब तीनो दिशाओ की दौलत को भी यही ले आकर रखेगा और ऐश करेगा।
वह आदमी महल के एकएक कमरे में गया।
कोई कमरा हीरेमोतियों से भरा हुआ था। किसी कमरे में सोने के किमती से किमती आभूषण भरे पड़े थे।
इसी प्रकार अन्य कमरे भी बेअन्त धन से भरे हुए थे।
वह आदमी चकाचौंध होता जाता और अपने भाग्य को शाबासी देता।
वह जरा और आगे बढ़ा तो उसे एक कमरे में चक्की चलने की आवाज़ सुनाई दी। वह उस कमरे में दाखिल हुआ तो उसने देखा की एक बूढ़ा आदमी चक्की चला रहा है।
लालची आदमी ने बूढ़े से कहा की तू यहाँ कैसे पंहुचा। बूढ़े ने कहा,”ऐसा कर यह जरा चक्की चला, मैं सांस लेकर तुझे बताता हूँ।
लालची आदमी ने चक्की चलानी प्रारम्भ कर दी। बूढ़ा चक्की से हट जाने पर ऊँचीऊँची हँसने लगा।
लालची आदमी उसकी ओर हैरानी से देखने लगा। वह चक्की बंद ही करने लगा था की बूढ़े ने खबरदार करते हुए कहा, “ना ना चक्की चलानी बंद ना कर।फिर बूढ़े ने कहा,”यह महल अब तेरा है। परन्तु यह उतनी देर तक खड़ा रहेगा जितनी देर तक तू चक्की चलाता रहेगा।
अगर चक्की चक्की चलनी बंद हो गयी तो महल गिर जायेगा और तू भी इसके निचे दब कर मर जायेगा।
कुछ समय रुक कर बूढ़ा फिर कहने लगा,”मैंने भी तेरी ही तरह लालच करके संतो की बात नहीं मानी थी और मेरी सारी जवानी इस चक्की को चलाते हुए बीत गयी।
वह लालची आदमी बूढ़े की बात सुन कर रोने लग पड़ा।
फिर कहने लगा,”अब मेरा इस चक्की से छुटकारा कैसे होगा?”
बूढ़े ने कहा,”जब तक मेरे और तेरे जैसा कोई आदमी लालच में अंधा होकर यहाँ नही आयेगा। तब तक तू इस चक्की से छुटकारा नहीं पा सकेगा।
तब उस लालची आदमी ने बूढ़े से आखरी सवाल पूछा,”तू अब बाहर जाकर क्या करेगा?”
बूढ़े ने कहा,
मैं सब लोगो से ऊँचीऊँची कहूँगा,
#लालच_बुरी_बला_है।

एक प्रसिद्ध कैंसर स्पैश्लिस्ट था|
February 27, 2016
दुःख मे सुख खोजने की कला
February 29, 2016

Comments are closed.

Archivers