एक गरिब हताश निराश युवक था। वह जीवन मे किधर भी हाथ डालता उसके हाथ मे मात्र निष्फलता ही आती थी। वह तन मन से मेहनत करने को तैयार था। परंतु वह जी जान से मेहनत करता पर सफलता नही मिल पाती थी। हर नए काम मे धंधे मे इन्वेस्टमेन्ट की जरूरत होती थी। पर उसके पास एक पैसा भी नही था। और इन्वेस्टमेन्ट नही कर पाने के कारण वह पीछे हो जाता था। बचत के नाम पर भी उसके पास कुछ भी नही था। इसमे भी वह जीरो था। उसको कोई उधार दे, मदद करे इसिलिये उसने मित्रो से रिश्तेदारो से संबंधीयो से मदद मांगी। और अपने कहलाते लोग से मदद भी नही मिली
“जब धनवान होते है तब दुनिया आपको जानती है,
जब निर्धन होते है तब आप दुनिया को जानते हो।”
थुवक बहुत ज्यादा हताश हो गया। उसके मन मे ऐसे विचार आने लगे की मेरे नसीब मे विकास, प्रगति, उत्थान, उत्कर्ष है ही नही। इस तरह की विचारधारा उसकी हो गई।
एक दिन बड़ी हिम्मत के साथ खुद की हताश को झटक कर will power के साथ वह घर से बहार निकला। और उन पुराने विचारो को त्याग करके कुछ नया करने का लक्ष्य लेकर के निकले था। और सबसे पहले वह एक वरिष्ठ मनोविज्ञानिक चिन्तन के पास मिलने के लिए गया। उनके पास जा करके चरण स्पर्श करके बोला- सर ! मुझे जीवन मे विकास करना है। आगे बढ़ाना है। प्रगति करनी है।
मनोविज्ञानिक बोले यह तो बहुत अच्छी बात है। अच्छा विचार है। कुंकू का तिलक करो। प्रभु का स्मरण करके आगे बढो। युवक ने II प्रश्न पुछा- विकास करने के लिए मुझे जीवन मे क्या करना करना चाहिए?
वरिष्ठ मनोविज्ञानिक ने कहा – विचारो को मात्र विचारना ही नही है। उस विचार को हकिकत मे लाने के लिए तत्पर कार्यो का प्रारंभ कर देना देना चाहिए।
युवक बोला- मेरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि मेरी जेब खाली है। मेरे पास पैसा नही है जिससे मै नया Work शुरू कर सकू।
वरिष्ठ मनोविज्ञानिक ने सुन्दर जवाब दिया- जेब और विकास का संबंध ही नही है। मन अगर ऊर्जा से भरा होगा तो फिर जेब भरी है या नही उसका कोई मतलब नही रहेगा।
युवान बोला- Sir! ऐसा नही है कि हर स्थान पर हर एक कार्य मे सारी जगह पैसा पैसा चाहिए।
तभी मनोविज्ञानिक ने उसे रोका और कहा- जीवन मे हमेशा आगे बढ़ाने के लिए उत्साह और मन की जरूरत है। काम करने के लगन होनी चाहिए। प्रगति की सीढ़ी पैसो से नही जोश से चडी जाती है। अगर तुम्हारी जेब भरी होगी और मन खाली होगा तो तुम कभी भी आगे नही बढ सखते हो ।।
खाली जेब नही- खाली मन इन्सान को पिछे कर देता है ।।
“पैसो से उत्साह नही आता है।
पर उत्साह से पैसे जरूर आते है”।।