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आपकी इच्छाओं को दबाये मत

बचपन से ही हमारे मन मै इच्छाएं भ्रूण बनकर पनपने लगती है, एक छोटी सी सायकल मिल जाये,या कोई खिलौना मिल जाए,या कोई टेडी बियर । कुछ लोग खुशकिस्मत होते हैं, जिनको सब मिल जाता है, पर अक्सर निराश रहते है ।

हर इंसान की कुछ इच्छाएं मन मै ही दबी रह जाती है, जो पूरी नही होने पर मन मै दबा लेता है, जब एक,दो और अधिक इच्छाएं पूरी नही होती तब इंसान उनके बारे मै सोचकर तनावग्रस्त हो जाता और अवसाद का रूप ले लेती है ये तनाव ।

जैसे बचपन मे आप किसी खिलोने को पाने की इच्छा करते हो,और आपके पापा या मम्मी ने नही दिलाया, फिर थोड़े बड़े हुए बाइक की इच्छा की,नही मिली, फिर कार का मन मे आया पर नही मिला। लेकिन आपके मन मे इच्छाएं दबती चली गयी। आप नही जानते की ये इच्छाएं आपको बीमार तक कर देती है ।

लेकिन आप इन बातो को आज ही त्याग कर दीजिये। मत सोचिये की कल की इच्छा पूरी नही हुई तो क्या? कल छोटी इच्छा पूरी नही हुई आज बढ़ी सोच से हर इच्छा पूरी करूँगा।
दोस्तों,मनुष्य के जीवन में पल-पल परिस्थितीयाँ बदलती रहती है। जीवन में सफलता-असफलता, हानि-लाभ, जय-पराजय के अवसर मौसम के समान है, कभी कुछ स्थिर नहीं रहता।

जिस तरह ‘इंद्रधनुष के बनने के लिये बारिश और धूप दोनों की जरूरत होती है उसी तरह एक पूर्ण व्यक्ति बनने के लिए हमें भी जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों से होकर गुजरना पड़ता है। हमारे जीवन में सुख भी है दुःख भी है, अच्छाई भी है बुराई भी है। जहाँ अच्छा वक्त हमें खुशी देता है, वहीं बुरा वक्त हमें मजबूत बनाता है।

हम अपनी जिन्दगी की सभी घटनाओं पर नियंत्रण नही रख सकते, पर उनसे निपटने के लिये सकारात्मक सोच के साथ सही तरीका तो अपना ही सकते हैं। कई लोग अपनी पहली असफलता से इतना परेशान हो जाते हैं कि अपने लक्ष्य को ही छोङ देते हैं। कभी-कभी तो अवसाद में चले जाते हैं ।अपनी इच्छाओं को गलत सोच की तरफ मत ले जाओ, वरना सकारात्मक सोच से उससे अधिक पाने की कोशिश कीजिये ।

प्रकाश बल्ब का आविष्कार करके घर-घर रौशनी पहुँचाने वाले एडिसन कई बार अपने कार्य में असफल हुए। बल्ब बनाने के अपने प्रयास में 10,000 से भी अधिक बार असफल होने पर उनका कहना था कि- मैं असफल नहीं हुआ बल्कि मैंने 10,000 ऐसे तरीके खोज लिये जो काम नही करते। ऐसी सकरात्मक सोच की वजह से ही वह इतने महान वैज्ञानिक बने और हज़ारों आविष्कार कर सके।

हमारे बीच कई उदाहरण है ,जो बचपन मे गरीब और कमजोर थे लेकिन बाद मे अपने विश्वास और दृढ़ विश्वास से अपनी इच्छाओं को पूरा करते है।

जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ने के लिए मन को सशक्त करने की आवश्यकता होती है। इसी को संकल्प कहते हैं। सभी कार्य मन से ही तो संपन्न होते है।

यदि हम मन से यह सोचते है कि हममें इच्छा शक्ति नहीं है, तो हम मन से अशक्त हो जाते है। हमने खुद अपने हाथ बांधकर अपने मन पर लेबल लगा लिया है कि ‘मै कमजोर हूँ’। यदि हम मन में कुछ यह ठान लें , तो सब कुछ संभव है। हममें वे सभी शक्तियां मौजूद है जिनकी हमे जरूरत है। हम बहुत शक्तिशाली है दरसल हम मन की शक्तियों के प्रति अनजान हैं, इसीलिए दयनीय बने रहते हैं।

“हर दिन अपनी जिन्दगी को एक नया ख्वाब दो, चाहे पूरा ना हो पर आवाज तो दो।
एक दिन पूरे हो जायेंगे सारे ख्वाब तुम्हारे , सिर्फ एक शुरुआत तो दो ।”

प्रशंसा
December 5, 2016
मिठार्इ
December 5, 2016

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