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बालक को ज़रूरत है तुम्हारे प्यार की….

एक छोटा सा नन्हा सा बालक ख़ुद के घर में इधर से उधर दोड भाग कर रहा था। अचानक से उसका पैर काँच के फूलदान से टकराया और फूलदान नीचे गिर गया और उसके टुकड़े टुकड़े हो गये। फूलदान बहुत क़ीमती था। बालक के पिता का ध्यान उस पर गया ओर उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया।

वह उस छोटे से बालक पर ख़ुद का ग़ुस्सा निकालते रहे- “ढक्कन तूने इतने क़ीमती फूलदान को तोड़ दिया, इतना ख़ूबशूरत फूलदान मुस्किल से मिला था। घर में शांति से बैठ नही सकाता? तेरे बाप ने पाई पाई बचाकर यह फूलदान ख़रीदा था और मात्र तूने 2 सेकंड में तो इस फूलदान का रामनाम सत्य कर दिया। तेरे जैसे बेटे अगर घर में होगे तो फिर कहा से बर्कत होगी।

बालक तो एकदम डर गया था। वह चुपचाप होकर सब कुछ सुन रहा था। जैसे जैसे पिता की आवाज़ बढ रही थी वैसे वैसे बेटे की आँख में से निकलते आँसू भी बढ़ते जा रहे थे। पति की चिल्ला चोट को सुनकर रसोई से काम करती हुई पत्नी बाहर आती है। और उसे पूरी घटना समज में आ जाती है। वह सीधी बालक के पास जाती हे उसके माथे पर प्रेम से हाथ फेरती है। बालक तो माँ की साड़ी में छुपकर माँ को भेंट जाता हे ।

बालक के पिता यह द्रश्य देखकर ख़ुद की पत्नी पर भी नाराज़ होता है ओर बोलता है- तू ही इस बच्चे को बिगाड़ रही है। तूने इसे बिगाडकर तूफ़ानी बना दिया है । पत्नी सब सुनकर बालक को रूम में भेज देती हे।

ख़ुद के पति के पास जाकर धीमे से बोली फूलदान टूटे उसकी आपको चिंता है, दुःख है, परंतु तुम्हारे एक के एक बेटे का दिल टूट जाए उसकी तुमको थोड़ी सी भी चिंता नही है? । घर की चीज़ों का, वस्तुओं का ध्यान रखना ज़रूरी है। कारण की वह हमारी सर्वांति है। परंतु संतान हमारी सबसे बड़ी संपती है। इसलिए इसे सम्भालना ज़्यादा महत्वपूर्ण है।

ज़रा थोड़ी सी शांति से विचारों फूलदान तो घर में दूसरी भी आ जाएगी। पर दूसरा बेटा कहा से आएगा ?

हमारी सबसे बड़ी संपती हमारी संताने है। हम जितनी हमारी स्थूल संपती का जतन करते है, ध्यान रखते है, क्या उतना ध्यान प्रेम हम संतानो को करते है क्या ?

” इन सभी फूलो को कह दो यूनिफॉर्म में आए
पतंगिये को कह दो की साथ में दफ़्तर लाए
मन हो वैसे मछलियों को नही तेरना है
स्वीमिंगपूल के सारे नियमो का पालन करना है।।”

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