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सेव श्रावकत्त्व (श्रावक धर्म की रक्षा)

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मुंबई के गुरुभक्त गोविंदभाई खोना प.पू. गुरुदेव, आचार्य भगवंत श्रीमद विजय रामचंद्रसूरीजी म.सा. मुंबई में जहां भी हो वहां जाकर प्रतिदिन अवश्य सहपरिवार वंदन करते। शेफाली के पी. पी. शाह सालों से हररोज प.पू. तपस्वी- सम्राट आ. भ. श्रीमद विजय हिमांशुसुरीश्वरजी म. सा. अमदाबाद में जहां भी हो वहां गुरुवंदन करने जाते ! धरणीधर के सतीशभाई, वासणा के मधुभाई आदि प.पू.आ. भ. श्रीमद विजय भद्रकरसूरीश्र्वरजी म.सा. अहमदाबाद में जहां कहीं भी विराजमान हो वहां जाकर हररोज वंदन करते!! धन्य है ऐसे गुरुभक्तों को! (जैन प्रतिदिन धंधे -नौकरी पर बहुत दूर जाएंगे लेकिन अपने घर के पास में ही साधु महाराज हो उन्हें भी वंदन रोज कितने करते हैं?) श्री तीर्थंकर देव ने कहा है कि जैसे प्रभुपूजा श्रावक का दैनिक कर्तव्य है वैसे ही गुरुवंदन श्रावक का दैनिक कर्तव्य है। इस धर्म कर्तव्य को तुम आचरण में लाओ। ऐसे सैकड़ों गुरुभक्तों को भाव से वंदना करो यही शुभेच्छा। टी.वी जैसे ‘सेव वाटर’ की चेतावनी देता है वैसे ज्ञानी हमें श्रावकधर्म की रक्षा करने की प्रेरणा देते हैं।

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