Archivers

औचित्य माता पिता का – भाग 8

हमारा सौभाग्य है कि हमें लाभ मिला!

माता-पिता को बीमारी आए और लंबी चले तो पुत्र माने कि ‘मुझे सेवा का मौका मिला। उनका ऋण अंशतः भी चुकाने का मौका मिला। उनकी सेवा में लाखों रुपए खर्च हो जाए तो वह सदुपयोग है। मेरी लक्ष्मी सार्थक हुई। जैसे जिनेश्वरदेव की भक्ति में जो उपयोग हुआ वह सब सार्थक है, वैसे ही माता-पिता की समाधि के लिए जो भी खर्च होता है वह सार्थक ही है।’

सुपात्र पुत्र मानेगा की ‘मेरी छत्रछाया माता-पिता है। उनके अशुभ कर्मफल स्वरुप बीमारी भले ही आई हो, किंतु मेरा पुण्योदय है कि उनकी सेवा, दवा, शुश्रूषा एवं समाधि का लाभ मुझे मिल रहा है। माता-पिता है तो ही यह लाभ मिला है, ना होते तो लाभ कैसे मिलता?’

मंत्रीश्वर बाहड़ ने श्री कुमारपाल महाराजा के समय में कलिकाल सर्वज्ञ परम पूज्य आचार्य श्री हेमचंद्रसूरीश्वरजी महाराजा की आज्ञा से शत्रुंजय गिरिराज का उद्धार किया। आज जो दादा का जिनालय दिखाई देता है उसके मूल निर्माता ये मंत्रीश्वर थे। दादा का जिनालय बनने का समाचार एक खेपिया के माध्यम से मिलने पर दातुन करने बैठे मंत्रीश्वर ने उसे सोने की 32 जीभ भेंट में दी। थोड़े समय बाद अन्य खेपिया ने आकर जिनालय गिर जाने का समाचार दिया तो मंत्रीश्वर ने उसे सोने की 64 जीभ दी। दोनों दृश्य तथा मंत्रीश्वर का व्यवहार देखने वाले किसी ने प्रश्न किया- ‘जिनालय बनने के समाचार देने वाले को 32 और जिनालय गिरने के समाचार देने वाले को 64 जीभ देने का कारण?’ मंत्रीश्वर ने जवाब दिया- ‘भाई! मेरी मौजूदगी में ही जिनालय गिर गया तो उसके पुनरुद्धार का लाभ भी मुझे मिल सकेगा। मेरे जाने के बाद जिनालय गिरा होता तो यह लाभ मुझे कैसे मिला होता? इसलिए दूसरा समाचार लानेवाले को अधिक भेंट मिली।’ समझे? माता-पिता की भक्ति करके आप माता-पिता पर उपकार नहीं करते। आपकी भक्ति स्वीकार करके वे ही आप पर दूसरा उपकार कर रहे हैं-यह समझ विकसित होगी तो उपकारी की सच्ची भक्ति हो सकेगी।

यहा यह भी कहा गया है कि, माता-पिता अशक्तिमान हो तथा उन्हें बेठना हो तो सहारा देकर बैठाए। खड़े होना चाहते हो तो सहारा देकर खड़ा करें। माता-पिता को खड़ा होना हो तो उन्हें लाठी तलाश न करनी पड़े। कहे……’आपकी लाठी तो मैं हूं।’ स्वयं भी सहारा दे। पुत्र के लिए वैसे भी कहा जाता है कि पुत्र माता-पिता की बुढ़ापे की लाठी होता है। माता-पिता को उठना-बैठना हो तो पुत्र सहारा देने के लिए तैयार ही हो।

औचित्य माता पिता का – भाग 7
September 17, 2018
औचित्य माता पिता का – भाग 9
September 17, 2018

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Archivers