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राज्य भी मिला, राजकुमारी भी!– भाग 4

हे भगवंत आप कृपा करें !
महाराजा की तहेदिल की प्रार्थना के साथ साथ वातावरण में यकायक परिवर्तन आने
लगा । मयूरों का केकराव मुखरित हो उठा । अबूझा की डाली पर बैठी कोयल कुहक कुहक
कर शोर मचाने लगी । पेड़ो की डालीया झूमती हुई नाचने लगी । जैसे ही सारी
प्रकृति पुलकित होकर नृत्य करने लगी । कुदरत का कारोबार खुशियो का पैगाम ले
आया हो वैसा समा बंधने लगा ।
इतने मे एक ऊँचे पेड़ की डाली पर बैठे किसी राजपुरुष की आवाज खुशी से फट-सी
गयी….
‘विमलयश आ रहे है ! बड़ी तेजी से आ रहे है ! साथ मे एक औरत और एक पुरुष भी
है… शायद राजकुमारी हो !’
सभी की निगाह ऊपर उठी । किसी ने पूछा टोले में से : ‘किस दिशा की ओर से आ
रहे है ?’
‘पश्चिम दिशा की ओर से !’ वृक्ष के ऊपर रहे हुए व्यक्ति ने जवाब दिया ।
सैकड़ो स्त्री-पुरुष आननफानन पश्चिम दिशा की ओर दौड़ पड़े !
महाराजा पुनः नवकार मंत्र के जाप-ध्यान में लीन हो गये ।
पश्चिम दिशा में दौड़ रहे स्त्री-पुरुषों को बीच रास्ते ही विमलयश का मिलन हो
गया, और लोगो ने गुणमंजरी को सुरक्षित देखकर हर्षध्वनि किया । आनंदविभोर होकर
लोगो ने विमलयश का जयजयकारा किया । जयध्वनी के शब्द महाराजा के श्रुतिपट पर
गिरे, उन्होंने आंखे खोली । पश्चिम दिशा की ओर निगाह उठा कर देखा । विमलयश को
तीव्र वेग से अपनी तरफ आते देखा । महाराजा की आंखे खुशी के आँसुओ से छलक उठा
। महारानी का चेहरा भी प्रसन्नता के फूलो से खिल उठा ! दोनों खड़े हो गये ।
पश्चिम दिशा की तरफ दोनों के कदम बढ़ाये ।
विमलयश ने महाराजा को प्रणाम किया । राजाने चरणों मे जुकते हुए विमलयश को अपने
सीने से लगाया….।

आगे अगली पोस्ट मे…

राज्य भी मिला, राजकुमारी भी!– भाग 3
September 28, 2017
राज्य भी मिला, राजकुमारी भी!– भाग 5
September 28, 2017

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