राजा के शरीर मे रहे हुए कुबडे ने रानी से कहा: देख, तेरा यह तोता अभी जिंदा
हो जाएगा….पर तब तक मेरा शरीर निष्प्राण होकर पड़ा रहेगा…. तू उसे संभालना
। एकाध प्रहर के बाद में अपने शरीर मे वापस लौट आऊंगा ।’ ओह…. यह तो काफी
गजब है ! क्या आप खुद यह चमत्कार कर दिखाएंगे क्या ? ‘
कुबड़े ने राजा का शरीर छोड़ा और तोते के शरीर मे प्रवेश कर दिया। तोता जिंदा हो
उठा। रानी नाच उठी ।तोते को खिलाती हुई वह दूसरे खंड में चली गयी।
इधर महामंत्री आनन-फानन में जाकर असली राजा को रानी के कमरे में लिवा लाये।
राजा ने तुरंत मंत्राजाप करके अपने शरीर मे प्रवेश कर दिया।
राजा ने महामंत्री का बहुत आभार माना।
महामंत्री ने रानी से तोता लेकर उसे मार डाला। रानी को अपना असली राजा मिल
गया। राजा को भी अब अक्ल आ गयी। महामंत्री की बात अब समझ मे आयी।
‘वाह भाई वाह… तुमने तो कितनी सुंदर एवं मजेदार कहानी सुनायी…. बहुत
अच्छी…सलाह के मुताबिक मै अपने जीवन की कोई भी बात मेरी भाभियो से नही
करूँगी…भरोसा रखना ।’
अपना विमान वेताढ़य पर्वत पर से उड़ रहा है….देख, नीचे, विद्याधरों के हजारों
नगर दिख रहे है ।’
सूरसुन्दरी ने नीचे निगाह की तो विध्याधरो की अद्भुत दुनिया दिखने लगी ।
‘ अपना नगर कहा है ?’
‘अब बस ….सुरसंगीत नगर के बाहरी इलाके में ही विमान को उतारता हु ।’ सीधे
महल की छत पर ही उतारो ना ?भाभिया आश्चर्यचकित हो उठेगी ।’
‘नही …नही मेरी महान भगिनी का तो मै भव्य नगर प्रवेश करवाऊंगा । फिर न जाने
कब मेरी यह बहन मेरे नगर में आने वाली है ? उसमें भी अमरकुमार के मिलने के बाद
तो…’
‘बस…बस…अब…’ सूरसुन्दरी का चेहरा शर्म से लाल पेसू सा निखर उठा ।