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अाखिर ‘भाई’ मिल गया – भाग 5

लुटेरे वापस पल्ली में लौटे तो उन पर आगबबूला होता हुआ बरस पङा –
‘दुष्टों ! तुम किसे ले आये थे यहाँ ? जानते हो ?’
बिचारे लुटेरे तो पल्लीपति का इतना खौफनाक रुप देखकर सकते में आ गये थे |
‘वो तो साक्षात जगदम्बा थी….तुम्हारे पापों से आज मैं मर ही जाता….भला हो उस जगदम्बा मां का , उसने मुझे बचाया , पापियों ! अब कभी भी किसी औरत को हैरान मत करना | किसी की इज्जत पर हाथ मत डालना | वर्ना मैं तुम्हें एक एक को काटकर धरती में गाङ दूंगा |’
लुटेरों ने पल्लीपति की आग्या को माथे पर चढ़ाया | पल्लीपति ने जब सारी बात कही तब तो वे बेचारे काँपने लगे | उन्होंने कसम खा ली ‘फिर कभी किसी भी औरत के सामने नहीं देखेंगे |’
सुरसुंदरी चलती रही देर सबेरे तक | वह एक भरे पूरे सरोवर के निकट पहुंची | सरोवर की मेढ़ पर चढ़कर देखा तो सरोवर में स्वच्छ पानी हिलोरे ले रहा था | हंसों के बच्चे तैर रहे थे पानी में |
सुरसुंदरी को प्यास लगी थी | उसने पानी पिया | वह थकान से चूर हो रही थी | किनारे पर के वृक्ष की छाया में जमीन पर ही लेट गयी सुरसुंदरी , आराम करने के इरादे से | कुछ ही देर में उसकी आंखे मुंद गयी….वह नींद में खो गयी |
शासनदेवी के प्रत्यक्ष दर्शन होने के बाद सुरसुंदरी ने अटकल लगाया कि ‘अब लगता है….मेरे दु:ख के दिन बीत गये….पुण्य के उदय बगैर देव का दर्शन होता नहीं |’ इस अनुमान ने सुरसुंदरी के दिल में आशा , उमंग और आनंद भर दिया था | वह आश्वस्त हो चुकी थी | ‘अब मुझे जल्द ही अमर का मिलन होना चाहिए |’
वह गहरी नींद में डूबी थी |
इतने में वहां एक विराटकाय पक्षी आया….और सुरसुंदरी के समीप बैठा….वह था भारंङ पक्षी |
भारंङ पक्षी का पेट एक होता उसकी ग्रीवा , दो कान व आँखे चार चार होती है | पैर तीन होते है….बोली वह मनुष्य की बोलता है….उस के मन भी होता है | भारंङ पक्षी ने सुरसुंदरी को देखा | उसने मृत देह समझकर सुरसुंदरी को अपनी बङी चोंच में जकङा और वह आकाश में उङने लगा….|
ज्यों ज्यों भारंङ आकाश में ऊपर उङने लगा…..त्यों त्यों ठंडी हवा के थपेङे लगने लगे | हवा के झोंको ने सुरसुंदरी को जगा दिया….अपने आप को भारंङ पक्षी के मुँह में फंसी देखकर…..वह चीख उठी…..छूटने के लिये भरसक कोशिश करने लगी….भारंङ पक्षी ने जब जाना कि ‘वह कोई लाश नहीं है…..वह तो जिन्दा स्त्री है | उसने अपनी चोंच को खोला….
सुरसुंदरी आकाश में फिंक गई | उसी समय आकाश में एक विमान चला जा रहा था | विमानचालक ने आकाश मे इस रोमहर्षक दृश्य को देखा | सुरसुंदरी को भारंङ पक्षी की चोंच से नीचे गिरते देखा….विमानचालक ने अपने विमान में सुरसुंदरी को सावधानी से पकङ लिया |
सुरसुंदरी विमान में गिरते ही बेसुध होकर लुढक गयी।

आगे अगली पोस्ट मे..

अाखिर ‘भाई’ मिल गया – भाग 4
June 30, 2017
अाखिर ‘भाई’ मिल गया – भाग 6
June 30, 2017

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