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आखिर , जो होना था – भाग 2

‘वैसे भी हमारा प्यार तो बचपन का है … साथ साथ पढ़ते थे … तभी से हम में एक दूजे के लिये लगाव था … खिंचाव था । बस, एक ही बार हम झगड़ा कर बैठे थे ।
मैं थोड़े ही झगड़ा था …। इसने ही तो मेरे साथ झगड़ा किया था । मैंने तो अपने प्रेम का अधिकार मानकर … इसकी साड़ी के छोर में बंधी सात कोड़ी ले ली थी । मेरा कोई चोरी करने का इरादा थोड़े ही था ? दूसरे विद्यार्थियों के देखते ही मैंने ली थी कोड़ियां । मेरा मन , वह जगे तब उसे अजूबे में डाल देने को आतुर था । वह जब मिठाई देखेगी तब आश्चर्य से मेरे सामने ही देखती रह जायेगी । और जब उसे मालूम होगा कि मैंने उसी की सात कौड़ी से मिठाई खरीद कर छात्रों में बांटी है , तब वह मीठा गुस्सा करके रूठ जायेगी। फिर मैं उसे मना लूंगा तो मान जायेगी ।
पर वह जगते ही गुस्से से बौखला उठी थी ? मुझे चोर का इल्जाम दिया … सभी विद्यार्थियों के बीच तू तू मैं मैं पर उतर आयी । अरे … बाबा..। उस वक्त उसका चेहरा कितना लाल लाल हो गया था … उसके मुँह में से अगन बरसाते शब्द निकले थे ।
उसका अभिमान कितना था ? मुझने कहा था ‘हां , हां , सात कोड़ियों से मैं राज्य ले लेती राज्य । ‘ओह, उसका गरूर कितना । राजकुमारी थी न ? उसके पिता राजा … तो फिर वह किसी से दबे भी क्यों ।
परन्तु … आज वह राजकुमारी नहीं है .. मेरी पत्नी है … आज वह मेरे अधिकार में है ।’
अमरकुमार के मन में बचपन की कटु स्मृतियाँ एक एक कर के उभरने लगी । वह धीरे धीरे गुस्से से कांपने लगा । उसकी आंखों में बदले की आग के शोले भड़कने लगे । उसकी नसे खींचने लगी ।
‘सात कोड़ियों में उसे राज्य लेने दू । हां …. देखू तो सही , वह सात कोड़ियों में राज कैसे लेती है ? लेती भी है या नहीं …?’
‘इसका जो होना हो सो हो । इसे यहीं सोयी छोड़कर चला जाऊं । इसकी साड़ी के छोर में सात कौड़ी बांधकर वहां लिख दू …. ‘सात कोड़ी में राज्य लेना ।’ अभिमानी का अभिमान तब ही उतरेगा । राज्य कैसे लिया जाता है , इसका भी इसे अंदाजा लगेगा । कितनी मगरुबी रखती है यह , मालूम हो जायेगा ।’
‘ पर जब नाविक पूछेंगे तो ? मुनिम लोग पूछेंगे कि ‘सेठानी कहां है कुमार सेठ ? तो मैं क्या जवाब दूंगा ?’
अमरकुमार का शरीर पसीने में भीग गया । यदि मैं जवाब देने में सकपका जाऊंगा तो उन लोगों को संदेह होगा कि जरूर सेठ ने सेठानी की हत्या कर दी …।’ उसके देह में कँपकँपी फैल गयी ।

आगे अगली पोस्ट मे…

आखिर , जो होना था – भाग 1
May 29, 2017
आखिर , जो होना था – भाग 3
May 29, 2017

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