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सुपात्र दान

जैसे वट का वृक्ष छोटे बीज से बहुत बड़ा फलीभूत होता है ऐसे ही तुम अणु मात्र भी सुपात्र को दान करते हो तो वह उस वृक्ष की भांति फलीभूत होता है l

गाय को सूखी घास भी खिलाते हो तो बाल्टी में दूध भर जाता है ऐसे ही योगी को दिया गया ग्रास कैवल्य रूपी दूध से भर देता है l

समाधिमरण, निर्वाण और कैवल्य ये तीनो का सम्बन्ध परिणाम विशुद्धि से है l

करोडो का दान मत करना, गाँव में मुनिराज आये तो प्रवचन सुन पाओ या ना सुन पाओ लेकिन सब काम छोड़कर उनकी आहार चर्या जरूर कराना l

_*सम्यक दृष्टि सुपात्र को दान देगा तो स्वर्ग मिलेगा और यदि मिथ्या दृष्टि भी सुपात्र को दान देगा तो वो भी फलीभूत होगा उसे भोगभूमि मिलेगी, उसके बाद सम्यक्त्व प्राप्त करके स्वर्ग जाके पुनः मनुष्य योनि में जाकर अपना कल्याण करेगा l।

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