Archivers

प्रधान मंत्री के आवान से विद्यार्थीयो ने की देश की रक्षा

एक बार इजराइल देश का अपने पडोसी देश से लगातार तीस दिनो तक युद्ध चलता रहा ।इजराइल सेनपति ने अपने देश के प्रधानमन्त्री को फोन किया —-
सर हमारे हजारों सैनिक शहीद हो चुके हैं । अब हमारी सेना मे केवल चालीस हजार सैनिक लड रहे हैं । दुश्मन की सेना मे लगभग दो लाख सैनिक हैं ।यदि युद्ध दो दिन और चलता रहा तो हमारी हार निश्चित है । दुश्मन अपने देश पर कब्जा करके उसे अपना गुलाम बना सकता है ।

इस आपातकाल मे बडे धैर्य के साथ प्रधानमन्त्री जी ने टी , वी पर केवल देश के विद्यार्थियों को सम्बोधित किया —

डियर स्टूडैन्टस् !
हमारे हजारों सैनिक युद्ध मे शहीद हो चुके हैं । अब सेना मे केवल चालीस हजार सैनिक बचे हैं । दुश्मन के पास लाखों सैनिक हैं । हमारी सेना पीछे हट रही है । देश गुलाम हो सकता है ।

अब केवल आप ही देश को बचा सकते हैं । आज आपका इजराइल देश आपको , आपकी शक्ति , आपका पराक्रम , आपका खून और आपका बलिदान मांग रहा है ।

आज रात ग्यारह बजे आपके निकटतम रेलवे स्टेशन से स्पेशल रेलगाडी देश की सीमा पर जाएगी । आपसे मेरी हाथ जोड कर विनती है कि आप कापी , किताब और कलम छोड दीजिए । आपको जो भी अस्त्र शस्त्र , भाला , बरछा गंडास तलवार और गोली , बन्दूक मिले , उसे लेकर युद्ध भूमि पर पहुंच जाएं ।
रात ही रात मे पचास लाख विद्यार्थी सीमा पर पहुंचकर युद्ध करने लगे । दुश्मन की सेना मे खलबली और भगदड मच गई ।उसके लाखों सैनिक मारे गए ।
इस प्रकार देश के विद्यार्थियों ने अपने देश को गुलाम होने से बचा लिया । सेनापति ने यह शुभ समाचार प्रधानमन्त्री को दिया । खुशी के मारे प्रधानमन्त्री की आंखों मे आंसू आ गए । परन्तु विद्यार्थियों ने इस विजय श्री का शुभ सेहरा अपने महान प्रधानमन्त्री के सिर पर रखा ।उनका इस बात के लिए आभार प्रकट किया उनको देश के लिए कुछ करने का अवसर दिया है ।

जब देश का विद्यार्थी देश रक्षण मे उतरा तो देश को बचा लिया।
परंतु इस भारत का हर विद्यार्थी अगर धार ले की

– मुझे एक मजबूत भारत का निर्माण करना है और उसके लिए कार्य करे तो यह भारत चंद दोनो मे विश्व की महासत्ता बन सकता है।।

मैं पैसा हूँ….
November 24, 2016
प्रभु वीर ने गौतम से कहा- समय गोयम ! मा पमायए
November 25, 2016

Comments are closed.

Archivers