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निष्टा के साथ काम करने वालो का नसीब भी साथ देता है।

एक ऐसी स्टोरी जहाँ सामान्य धर मे एक लडके का जन्म होता है। परिवार का मुखिया बस अपनी फैमिली का पेट भर सकता है। जीवन इसी तरह चलता है। बाप अपने बेटे को खुब पढाना चाहता था ताकि अच्छी सरकारी नौकरी लग जाए।

परन्तु बेटे के कुछ अलग ही सपने होते है। वह कुछ करना चाहता था। देश के लिए कुछ चाहता था। माता- पिता का नाम हो एसा कुछ करना चाहता था।

मन्जिल उसे क्रिकेट के मैदान पर ले जाती है। जिस देश मे टेलेन्ट से सिर्फ कुछ हासिल नही किया जा सकता , इन सारी बातो को जिसने गलत साबित कर दिया और बता दिया विश्व को की इस भारत की जमीन पर जो मेहनत करता है, भारत माता उसी के सिर पर ताज रखती है।

आज हम बात कर रहे है मध्यम परिवार के बेटे महेन्द्र सिंह धौनी की। जिन्होंने मात्र अपने खेलने के दम पर दुनिया मे अपनी पहचान बनाई। भारतीय टीम को विश्व विजेता बनाया।

एक समय जिस राज्य की तुलना सबसे पिछड़े राज्यो मे होती, उस राज्य मे जन्म लेकर,भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करना और विश्वकप जितना एक अनमोल सुनहरी घटना है। यह इस बात को साबित करती है कि भारत का छोटा से छोटा आदमी भी कुछ कर सकता है।विश्वविख्यात खुद को बना सकता है। परंतु उसके लिए हमे खुद को निष्टा के साथ मेहनत करनी होगी।

हम अगर धौनी की तरह मेहनत करेंगे तो अवश्य सफल होंगे। परन्तु हमे हमारे अन्दर वह आत्मविश्वास लाना होगा जो धौनी मे था। हर असफलता पर भी उसने सकारात्मक सोच के साथ आगे बढने के लिए कदम उठाया।

मेहनत करने वाला इन्सान कभी भी हारता नही। वह तो हमेशा जितता है या सिखता है। बस हमे भी उसके जीवन से यही सिखना है। लगातार मेहनत करते हुए आगे बढना है। कभी भी अपने आप को छोटा नही समझना और आगे बढना। तभी आप भी अपने श्रेत्र मे जरूर से सफल हो जाओगे।

बस तो आप प्रयत्न करो और आगे बढ़ो।।

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