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“वेशभूषा” देश और संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए

आज हमारी भारतीय सभ्यता बडी संकट मे नजर आ रही है। हमारा रहन- सहन, भाषा और वेषभूषा का हमारे जीवन के साथ बडा गहरा संबंध है। आज हम Western के रंग मे रंगे जा रहे है और हमारी East की गौरवशाली सभ्यता का त्याग कर रहे है।

आज आपको दुःख होता है? आपकी स्वतंत्रता का हनन होता है। जब हम नारी को मर्यादा मे रखने की बात करते है, पुरुष को संयम के पाठ जब सिखाते है तो शायद आपको यह गुलामी लगती है।

नारी सदैव मर्यादा मे शोभी है। मेरे यहाँ पर सदाचार है। व्यभिचार नही है। मेरे देश मे दाम्पत्य करार नही संस्कार है। करार वहाँ पर होता है जहाँ पर दोनो व्यक्ति अपनी हवस मिटाने का कार्य करते है।

जब आपके सामने उद्भट वस्त्रो मे कोई अभिनेत्री आती है तो आप क्या कहेंगे? उसे अपनी माता या बहन के रूप मे स्वीकार करेंगे क्या ?
नही कर सकते है। किसी पोर्न अभिनेत्री को एक भी भारतीय अपनी बहन के रूप मे स्वीकार करेगा?

तो फिर आप जो उद्भट कपडे पहनकर जिनालय जाते- उपाश्रय जाते है, वहाँ आप कर्म तोड़ने जाते है या फिर आपके उद्भट वस्त्रो को देखने वालो को क्या भाव आयेंगे? वह वहाँ पर कर्म तोड़ेगा या नये बाँधेगा? उसे आप उस पवित्र स्थान पर गिरने मे निमित्त बनोगे या नही? जहाँ पर लोग तरने को जाएगे वहाँ पर आप उसे डूबाओगे?

हमारे वस्त्र मर्यादा मे होने चाहिए। सदाचार उत्पन्न न करे तो कोई बात नही पर कभी भी विकार को उत्पन्न नही होने देना चाहिए।
आज लडकियाँ जिस तरह के कपडे पहन कर काॅलेज जाती है वहाँ जाकर वह खुद भी ज्ञान नही पाती है। और दुसरो की भी ज्ञान प्राप्ति मे विघ्न डालती है। इसी कारण अब ज्ञान साधना के केन्द्र Lovers point मे तबदील होने लगे है।

कुदरत ने नारी देह की संरचना प्रदर्शन के लिए नही करी है। तो अब हमे विचार करना है हमे कैसे कपडे पहनने है?।

आज के हमारे पढे लिखे समाज के लडके भी आवारे जैसी हरकते शुरू कर देते है। उनके कपडो का पहनावा शायद मवालीयो की तरह हो गया है। ऐसे मे हम कैसे आगे बढ सकते है? हम एक विवेकशील समाज के लडके व्यसनी होते जा रहे है। उनके दुर्गणो के कारण कई बार वरिष्ठो को शर्मिंदा होना पड़ता है।

हमारे युवा मंदिर- उपाश्रय भी गार्डन की तरह जाते है। वहाँ पर वह अपने आपको मार्डन बनाने की सोचता है। वह दुसरो को आकर्षित करने मे अपने संस्कार तक भूल जाता है।

जो लडका कभी बीना छाना पिने मे डरता था वही आज बेधडक बियर पी जाता है।

क्या इन अवगुणो के साथ समाज टीक सकता है?

साथियो हमे प्रभु वीर की परंपरा को चलाना है। कोई हमारे असंस्कारो को देखकर भूतकाल पर संदेह करे इससे पहले अपना आचरन सुधारे।

आपके वस्त्र ही आपका First प्रभाव डालता है।।

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