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बाल वय में अनाथ होने के बाद भी जिसने बहुत बड़े सपनो को साकार किया

बचपन में जब कष्ट आता हैं तो बालक महान बन सकता हैं??

शायद हम यह विहार भी नही कर सकते हैं। परन्तु यह चमत्कार करके बताया हैं विष्णु नाम के बालक ने।

यह बालक सुबह पिता के साथ गंगा तट पर जाता था। गंगा गोद में खेलकर गायत्री पाठ कर के पुनः आता था। बाल्य अवस्ता में पिता के साथ गंगा तट पर कई वातालाप करता था। और इन गंगा पथ को जीवन में भी उतरता था। शायद यह गंगा पाठ भविष्य के महानायक को तैयार कर रहे हैं। विश्व किसी महापुरुष को देखना चाहता हैं। और इस बाल्यवास्ता में उसके माता-पिता का साथ छुट गया था। वह बालक खेलने की उम्र में जवाबदारी उठाने को तैयार हो गया था और कुछ सर्जन करने जा रहा था। अपने भविष्य को अच्छा बनाने के लिए तक्षशीला की और कदम बढ़ाये।

16 years तक गहन अभ्यास करके वह विद्वान् बन गया था। और अखंड भारत बनाने का स्वप्न देखकर उसे साकार बनाने का भागीरथ कार्य इस महापुरुष चाणक्य ने कर दिया। जिसका बचपन अंधकार मय में बिता था परन्तु उसे कुछ करना था और उसने बता दिया।

इन्होंने इस अखंड भारत को प्रजा सेवक जैसा सम्राट चंद्रगुप्त दिया। और राज्य कैसे चलाया जाता हैं यह सब उसे सिखाया हैं। कई सारे उपद्रव को सहन किया। उसके बाद भी यह डगे नही क्यों की यह कुछ करने का दम रखते हैं।

यह भारत के सच्चे भक्त थे। उनके जीवन सच्ची राष्टभक्ति थी। अगर इनके जैसा राजनेता पुनः भारत की सेवा करने लगे तो भारत पुनः सोने के चिड़िया बन सकता हैं। मात्र और मात्र देश के हित की राजनीति करते थे। जिन्होंने कुशल बुद्धि से छोटे छोटे टुकड़ो में विभक्त इस भारत को अखंड बनाया।

राजा से लगाकर मंत्री, सेनापति, सेवक, सबको अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठावान बनाया।
एक बार फिर से इस भारत को चाणक्य जैसे राजनेता की आवश्कता हैं।

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