आज हम 21वी सदी मे जीवन यापन कर रहे है
और हमारे पूर्वज एक बहुत बडी भव्य जिनालय की विशाल श्रंखला हमे विरासत मे देकर गये है। पर आज हमारे जिनालयो मे उपाश्रायो मे आज की पीढ़ी नही आ रही है। और अगर ऐसा ही चलता रहा तो आज से 25 साल बाद का भविष्य हमारा बडा खराब हो जाएगा।
आज की डिमांड है- स्कूल, काॅलेज education संस्थानो की। जिसके माध्यम से जैनो को आधुनिकता के साथ धर्म मे स्थिर किया जा सके। उनके कैरियर का निर्माण करना और उसके साथ संस्कारो का सिंचन करना। अच्छा कैरियर आर्थिक उन्नति का प्रतिक है तो संस्कार उनकी पहचान है। संस्कारो के बिना का कैरियर जीवन को बर्बादी के मार्ग पर लेकर जाता हे। तो हमे आज की जरूरत को जानना होगा।
हमे हमारे भविष्य को अध्यात्म के मार्ग के साथ आर्थिक मार्ग को भी बताना होगा। जब हम इन दोनो को साथ मे लेकर के चलेंगे तो हम एक नया सर्जन कर पायेंगे। और इस धर्म की आधारशिला को टीका पायेंगे। तो बस अब तैयारी करे धर्म की आधारशिला को टिकाने की उसे समृद्धशाली बनने की और इसके लिए हमे आज सारे के सारे education संस्थानो का निर्माण करना होगा।
हमे बालक को अ से लगाकर M.B.B.S तक की शिक्षा संस्थानो को बनाना होगा। इन संस्थानो के माध्यम से ही भौतिकता और अध्यात्म का सिंचन बालको मे करना होगा। तभी हम जैनत्व की चिरकाल तक जीवन्त रख पायेंगे ।।
“मत शिक्षा दो इन्हे चाँद सितारे छूने की
चाँद सितारे छूने वाले छू मंतर हो जायेगे।
शिक्षा देना है तो दो इन्हे चरण छू लेने की
जो जमीन से जुड़े रहेगें रिश्ते वह निभायेंगे”।।