आज की आधुनिक पीढी है।हमे किस रूप में देखती है। इस देश के अंदर हमे किसी दृष्टि कोण से देखा जाता है। हमे लोग व्यापारी समझते है। हमे लोग अहिसक मानते है हमे लोग डरपोक समझते है। हमारे पूर्वजो ने इस देश के लिए अपनी धरती माँ के रक्षण के लिए अपना बलिदान दिया है। अपने खून को बहाकर अपने धरती माँ की रक्षा की है।
हमे हर जगह भामाशाह याद आते है की उन्होंने राणा प्रताप को धन देकर मेवाड़ पर मुगुल सम्राज्य का खात्मा करवाने में राणा प्रताप के साथ अहं रोल अदा किया था। पर वही तक इन्होंने साथ नही दिया। अरे इन ही भामाशाह के भाई ने राणा प्रताप के साथ में मिलकर मुगुलो से युद्ध लड़ा था। हमे सदैव हमारे पूर्वजो की वीरता का गौरव होना चाहिए। ऐसे अनेक वीरो का खून हमारी रगो में दौड़ता है।
हमारी संस्कृति और सभ्यता पर जब जब भी आच आती है तब तब जैनो ने बलिदान दिया है। आज हम हमारे उस उज्जवल इतिहास को भूल चुके है। हमे उनका स्मरण करना चाहिए। यह खुमारी हमारी आज भी जीवन्त रहना चाहिए।
अरे गुजरात के महामंत्री वस्तुपाल और तेजपाल ने जिनशासन की ध्वजा को गगन में लहराया है। आबू के जिनलयो से यह विश्व प्रसिद्ध है। सम्पूर्ण दुनिया इनके द्वारा निर्मित अद्दभूत शिल्प को देखकर आश्चर्य चकित हो जाती है। पर इनकी खुमारी गजब की थी। इनकी महानता उस समय आयी जब शासन अणगार के उपर गुजरात राजा के मामा ने हाथ उठाया तो इन दया के अवतार करुणावंत महामंत्री ने उसी क्षण मामा का हाथ धड़ से अलग कर दिया। उस समय वह महामंत्री के रूप में नही धर्म के रक्षक के रूप में आये।
जब तक ऐसे धर्म रक्षको का खून हमारी रगो में दौड़ेगा तब तक हमारे धर्म पर , हमारी संस्कृति पर, हमारी सभ्यता पर आच तक नही आ सकती है।
क्योंकि ” व्यापारी का बेटा व्यापारी होता है तो
धर्मरक्षक के वंशज भी धर्मरक्षक होते है।”
मुझे किसी को टक्कर नही देना है। पर अगर कोई मेरे धर्म पर, मेरे भगवान पर, मेरे धर्म की सम्पति पर आँख उठाऐ तो मुझे शांत भी नही रहना है।