हे करुणा निधि !
प्रोडक्शन होता है वहाँ रिजेक्शन होता है
और जब क्वालिटी मेंटेन करनी हो तो
रिजेक्शन थोडा ज्यादा होता है
परंतु रिजेक्शन की कोई मात्रा तो होनी चाहिए
10 प्रतिशत 15 टके 20 टके
कितने परसेंट होगा?
परमपिता!
मेरा मन भी कारखाना है।
यहाँ पर भी लगातार प्रोडक्शन होता है।
एक क्षण भी बंध नही होता है।
पर जब प्रोडक्शन का ऑब्जर्वेशन करता हूँ।
मै डर कर खड़ा हो जाता हूँ
कुविकल्प……………. कुविचार
दुर्भाव……………. विभाव
विषयाशक्ति की भावना………….
कषायो की अधीनता………….
संज्ञाओ को पृष्ट करने की विभावनाये…..
रिजेक्शन ही रिजेक्शन
ख़राब माल मंगार माल कुगाल माल
10-15 रके रिजेक्शन हो तो माल को फेककर
क्वालिटी को संभाल सकते है।
परंतु जब टोटल माल ही भंगार हो
तो फिर मशीन बदलनी पड़ती है। प्रभु! कुछ तो करो…………
मेरे मन को बदलो
मेरे मन की कक्षा को बदलो
मेरे भावो को बदलो
प्रभु मेरी आपसे बस इतनी ही फरियाद है।
मेरे मन की मशीन में इतना बदलाव करदो
मन आत्म अहितकर प्रवुत्ति में जाय ही नही
जब भी जाय तो मन आत्म हितकर प्रवत्ति में ही जाए
अगर मेरे मन की क्वालिटी सुधर जायेगी तो
तो मेरे जीवन को दिशा मिल जायेगी
अगर जीवन को दिशा मिली तो
जीवन की दिशा सुधरे बिना
नही रहेगी ।
बस आपसे यही प्रार्थना है।