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Story Of The Day 16th, February 2016

देव गुरु और धर्म क्या हैं ?

ज्ञान के अभाव में हम देव गुरु और धर्म की पहचान नही कर पा रहे है ।
उसी कारण हमारा चार गति में भटकना जारी है ।

ज्ञान के अभाव में जो ग्रहण करना चाहिए उसे हम छोड़ देते है, तुच्छ चीजों को पकड़ के रखते है, सही और गलत का निर्णय भी हम अज्ञान के कारण नही कर पा रहे है ।
संसार छोड़ने के लिए है ।
संयम पालन के लिये है ।

फिर भी हम संसार को ही अपना मान कर जी रहे है ।
परमात्मा कहते है कि, हे जीव ! सबसे पहले तू स्वयं को अची तरह से जान ।
स्वयं का ज्ञान होगा तभी आत्मा का ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे ।
परमात्मा ने जो कहा है, गणधर भगवन्तो ने रचना की है, वही सच्चा और निःशंक ज्ञान है ।
ज्ञान से हमे विवेक, विनय, जयणा, करुणा, अहिंसा आदि का बोध हो सकता है ।
सद् ज्ञान के बिना जीव अपूर्ण है ।
हमे आज सद् ज्ञान की आराधना करनी है ।
जिससे हम सत्य-असत्य, भक्ष्य-अभक्ष्य, पूण्य-पाप आदि का सही ज्ञान प्राप्त कर सकें ।
दर्शन, ज्ञान आदि गुण है, तो पञ्च परमेष्ठी गुण वाले है ।
पञ्च परमेष्टि की आराधना तो उनकी पूजा अर्चना से हो सकती है, और हम सभी नवकार मंत्र के द्वारा करते भी है । जबकि दर्शन ज्ञान आदि की पूजा सेवा हम बाहरी किसी भी वस्तु से नही कर पाते है ।
उनकी आराधना के लिए हमे अपने ह्रदय का समर्पण करना चाहिए ।
शास्त्रो में दर्शन ज्ञान आदि को रत्न दीपक की उपमा दी गयी है ।
कोई भी दीपक जलाना हो तो हमे बाती घी और दीपक का स्टेण्ड चाहिए ।
मगर रत्न दीपक को जलाने के लिए कोई भी वस्तु नही चाहिए ।
वो दीपक खुद ही प्रकाशमय है ।
जब ऐसा रत्न दीपक हमारे ह्रदय में आ जाये तब समजना कि मेरे ह्रदय में परमात्मा की प्रतिष्ठा ही चुकी है।
ज्ञान पद को हमारी वंदना ।
आप मेरे मन मंदिर में बिराजित हो यही एकमात्र विनम्र निवेदन ।

Story Of The Day 15th, February 2016
February 15, 2016
Story Of The Day 16th, February 2016
February 16, 2016

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