नही…. नही… मुझे यह अच्छा नही लगता ! जब मै मेरी प्यारी प्यारी माँ को आंसू बहाते हुए देखता हूं….मेरा कलेजा फट सा जाता है । जब जब गहरी उदासी के समुद्र में अपने पिताजी को डूबा हुआ देखता हूं, तब मुझे बड़ी पीड़ा होती है । पर क्या करूं ? कहां जाऊ ? मैं तो दुःखी होता ही हूं । मेरे माता-पिता भी बेचारे मेरे लिए परेशान रहते है । मेरे कारण चिंतित रहते है ।
कभी मुझे आत्महत्या करके मर जाने का विचार आ जाता है । कभी जंगल मे दूर-दूर भाग जाने का मन होता है । कभी श्मशान में जाकर किसी सुलगती चिता में कूद कर जिन्दगी को समाप्त करने का मन होता है । कभी तो मुझे दुःख देनेवाले राजकुमार और उसके मित्रो को मार डालने के विचार आ जाते है । भयानक गुस्सा खोल उठता है भीतर में । पर कुछ भी कर नहीं सकता हूं । क्योंकि वह राजा है…. राजा का बेटा है । मै प्रजा हूं । वह श्रीमन्त है… मै गरीब—रंक हूं । राजा के समक्ष रंक की औकात क्या ?
– वह राजकुमार… राजपरिवार में क्यो पैदा हुआ ?
– उस राजकुमार को… इतना खूबसूरत शरीर क्यो मिला ?
– उस राजकुमार को रहने के लिए सुंदर महल क्यों मिला ? पहनने के लिए ढेर सारे बढ़िया- बढ़िया कपड़े मिले है ! और वह जो चाहे सो कर सकता है…. ऐसी सत्ता क्यों मिली ?’
ऐसे सवाल मेरे दिमाग मे अक्सर पैदा होते रहते थे । उनके जवाब मुझे मेरे पिता की बातों में से मिल जाते थे ।
– जिसने पूर्वजन्म में धर्म किया हो, उसे इस जन्म में ऐसे सारे सुख मिलते है। ईश्वर उसे ढेर सारे सुख देता है ।
– जो किसी भी छोटे बड़े जीव को मारता नही है ।
– जो कभी झूठ नही बोलता है ।
– जो कभी चोरी नही करता है ।
-जो सदाचारों का पालन करता है ।
– जो लोभ-लालच नहीं करते है ।
– जो ईश्वर का परिधान करते है ।
– जो सत्पुरुष का समागम करते है ।
– जो दुःखी जीवो के प्रति दया रखते है ।
उसे ईश्वर अगले जन्म के सुख ही सुख देता है ।
गुणसेन को ईश्वर ने सुख दिया है। उसने पूर्व जन्म में इस तरह का धर्म किया होगा, इसलिए ईश्वर ने उसे सुख ही सुख दिया हैं। मै भी यदि इस जन्म में धर्म करू तो अगले जन्म में अवश्य ईश्वर सुख देगा। फिर कोई भी मेरा मज़ाक नही उड़ाएगा । मुझे दुःख नही देगा । बुरे लोग मेरा उत्पीड़न नही करेंगे ।
परंतु इस तरह का धर्म इस नगर में रहकर तो मै कर नही सकता । रोजाना सुबह होती है और कुमार के मित्र मुझे खिलौने की भांति उठा जाते है….और सारे दिन मुझे संत्रास देते है….। घोर वेदना से मै तड़प तड़प कर रह जाता हूं….। ऐसे हालात में मै धर्म कर भी कैसे सकता हूं ?
आगे अगली पोस्ट मे…