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अद्भुत मनोबल

अदालत पुरी खचाखच भरी थी। खुनकेस का गम्भीर आरोप प्रत्यारोप चल रहे थे। बचाव पक्ष के वकील ने खुद की असरकारक शक्ति, तर्क बुद्धि और दलिलो से लोगो को दंग कर दिया था। ऐसे तो अनेक केसो मे वकीलो की बुद्धिबाजी सुनी थी पर इसकी वाक्छटा अद्वितीय थी।

प्रेक्षको और वकीलो की बाते तो ठीक है पर खुद मजिस्ट्रेट भी मंत्र मुग्ध हो गये थे। उसमे अचानक रंग मे भंग पडा। और एक तार वाला तार लेकर आया। जो वकील जोश के साथ वाक् प्रवाह मे बोल रहे थे उसके लिए ही यह तार आया था। तार को खोलकर उन्होंने पढा। खुद की आँखे कुछ धोखा तो नही दे रही ऐसा उन्होंने दो- चार बार तार पढा। फिर उसे जेब मे रख लिया। हाव भाव मे धोडा सा भी फेराफर नही हुआ।

वकील के हाव भाव देखकर ऐसा अनुमान लगा की सामान्य प्रसंग या खुशी का तार होगा। पर यह सब तो अनुमान ही थे सही बात तो किसी को पता नही थी।

वकील साहब जी जीभ मे से वापिस दलील और शब्दो की झड़ी बरसने लगी। खुबी की बात तो यह थी की जैसे की उन्हे कोई तार मिला ही ना हो यह मानकर द्दढ मनोबल और अपूर्व सहास के साथ उन्होंने कोर्ट का समय पुरा हुआ तब तक बीना रूके दलीले करी थी।

अदालत पुरी होने के बाद सभी लोग अपने अपने रास्ते चले गए पर एक अंगत मित्र ने पुछा की वह तार किसका था और उसमे क्या समाचार था?। वकील ने मात्र इतना ही जवाब दिया कि मुम्बई जा रहा हूँ। तार मुम्बई से था। मेरी पत्नी का आज अस्पताल मे स्वर्गवास हो गया। यह समाचार आए थे।

मित्र उनकी बाते सुनकर आघात से संमभित हो गया। उसे खुब ज्यादा दुःख हुआ। जिन्दगी मे कभी नही देखी ऐसे वकील की कर्तव्य निष्ठा और मनोबल को वंदन करे।

वास्तव मे ऐसे आघात जनक प्रसंग पर जो मानसिक संतुलन को बनाए रखता है अपने कर्तव्य को साथ निष्ठा से खडा रहता है वही इन्सान महान बन सकता है और ऐसे अद्भुत मनोबल को धारने वाले वकील थे नूतन भारत के अजोड शिल्पी लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल। उनकी कर्तव्य निष्ठा और द्दढ मनोबल ही इतिहास का सर्जन करते है ।।

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