आचार्य चाणक्य ने कहाँ- शिक्षक कभी भी साधारण नही होता है। प्रलय और नीर्माण दोनो उसकी गोद मे पलते है। वास्तव मे तो शिक्षक न कल साधारण था, न आज साधारण है, ना कल साधारण होगा। क्योंकि शिक्षक एक मात्र व्यक्ति है जो मानव को साधारण से असाधारण बनाने की क्षमता रखता है। शिक्षक के रूप मे द्रोण थे तो विश्व को अर्जुन की प्राप्ति हो गई। गुरु के रूप मे हेमचन्द्राचार्य थे तो को कुमारपाल की प्रप्ति हो गई।
शिक्षक ही ” नवसिखिए परिंदे को बाज बनाता है
मिट्टी मे से घडा बनाता है
कलम लेकर नया विश्व बनाता है
हर इतिहास का आधार बनाता है”
वह ही ज्ञान का विस्तार करता है। वही समझ शक्ति सिंचन करता है। वही भविष्य का निर्माण करता है। कोरे कागज को आकार देता है। शिक्षक ही मानव की ख्याति और प्रख्यायित है। शिक्षक अगर न होता तो आज कोई भी मानव ख्यात और प्रख्यात न होता ।
समाज मे बहुत से लोग शिक्षक को साब मामूली समझते है। कई बार अध्यापक को हल्के शब्द कहकर उतार देते है। बड़ी बड़ी हौट सिट पर बैठे लोग समझते है कि शिक्षक यानि आखिरी मंच का आदमी है। पर हकीकत मे शिक्षक वो समाज के शिखर पर बिराजमान उच्च कोटि का महामानव है। शिक्षक को कभी भी साधारण मत मानना।
आचार्य चाणक्य की बातो को समझकर याद रखने की जरूरत है। क्योंकि शिष्य को संस्कार देकर सुसभ्य नागरिक बनाना वह आचार्य की जवाबदारी है। ऐसा महान उत्तरदायित्व गहन करते है। गुरु मनुष्य समाज के देवता समान है।
बस शिक्षक को पुरा मान दो, सम्मान दो, आदर दो।
एक नए आने वाले भारत का निर्माण करो।
शिक्षक वह भविष्य का निर्माता है ।।