दिन की कहानी

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दिन की कहानी 8, फरवरी 2016

भक्तामर भक्तामर स्तोत्र की रचना कब हुई ? कैसे हुई और क्यों हुई? कैसे पढ़े ? कब पढ़े और किस तरह पढ़े? आदि सब जाने । भक्तामर स्तोत्र की रचना श्री मानतुंग आचार्य जी ने की थी, इस स्तोत्र का दूसरा नाम आदिनाथ स्तोत्र भी है, यह संस्कृत में लिखा गया है, प्रथम अक्षर भक्तामर होने के कारण ही इस…

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दिन की कहानी 3, फरवरी 2016

परम सत्य को समझकर जीवन जीएं हम आपनी वास्विकता को स्वीकार करने में बहुत कतराते है । व्यक्ति अपने जीवन की सच्चाई को स्वीकार करना तो दूर रहा उसको सुनने को भी तैयार नही होता । जीवन की वास्तविकताए बहुत जटील और कष्ट दायक है । यदि हम उनका उचित मूल्याकंन कर जीवित रहे तो अनेक असफलताओं से बच सकते…

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दिन की कहानी 2, फरवरी 2016

-धर्म जगत का मार्गदर्शक- धर्म गुणों का सागर है । धर्म सुखों का आगर है । धर्म बिना यह जीव जगत में, बना हुआ नित चाकर है । धर्म सखा है, धर्म बंधु है, धर्म ही स्वर्ग का दाता है । नमू-नमू है धर्म तुम्हे, धर्म ही सच्चा सुख प्रदाता है । धर्म क्या है ? धर्म विश्व व्यवस्था का…

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दिन की कहानी 2, फरवरी 2016

भव-सागर से तिरने का पुरुषार्थ किसी भी नमकीन या खाली जमीन में अगर वर्षा-जल गिरता है, तो वह किसी काम नहीं आता है । वैसे ही जब तक सद्गु गुरु के उपदेश की बात आत्मा में परिणमित न हो, ऐसी स्थिति में वह देशना भी किस काम की ? जब तक उपदेश की बात आत्मा में परिणमित न हो, तब…

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दिन की कहानी 2, फरवरी 2016

चैतन्य आत्मा का कोई धर्म या वर्ण या शरीर नही होता है । हे अबोध, इस संसार में दिख रहा कोई भी प्राणी किसी भी धर्म या वर्ण वाला नही रहता है । क्योंकि आत्मा का कोई धर्म या वर्ण नही होता है । यह ब्राम्हण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र भी नही होता है । हमने सभी तरह के जन्म अनंत…

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