दिन की कहानी
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जीवदया जैनों की प्राण हें
जीवदया जैनों की प्राण हें। संघ की समृद्धि का महत्वपूर्ण कारण हे। करोड़ों की लागत से पंजरापोल में जीवो को अभयदान देने वाले हम, अज्ञान और उपेक्षा के कारण,घर के अन्दर ही नंत/असंख्य जीवों की हिंसा तो नहीं कर रहें हें ? यह जानने और उस हिंसा से बचने के लिये श्री नाकोड़ा दरबार ग्रुप आपके समक्ष कुछ जानकारी और…
रामायण कथा का एक अंश
रामायण कथा का एक अंश जिससे हमे सीख मिलती है “एहसास” की… श्री राम, लक्ष्मण एवम् सीता’ मैया चित्रकूट पर्वत की ओर जा रहे थे, राह बहुत पथरीली और कंटीली थी ! की यकायक श्री राम के चरणों मे कांटा चुभ गया ! श्रीराम रूष्ट या क्रोधित नहीं हुए, बल्कि हाथ जोड़कर धरती माता से अनुरोध करने लगे ! बोले-…
भगवान महावीर
भगवान महावीर का चौमासा राजग्रही नगर मॆं…राजा श्रेणिक , उनकी रानियां , पुत्र ,नगर जन वगैरह देशना सुन रहे हैं । श्रेष्ठि श्री मैतार्य को देशना सुनकर वैराग्य भाव जाग उठा । वैराग्य चरितार्थ के लिए भगवान सॆ प्रार्थना की । संसारी सगे -रिश्तेदारों एवं स्वयं श्रेणिक राजा मैतार्य को समझाते हैं : “यह वैभव ,नौ -नौ नारियां छोड़कर दुष्कर…
संसार की क्षणभंगुरता का विचार करें !!!!!
यह संसार क्षणभंगुर है, नाशवान है। मनोहर दिखाई देने वाला प्रत्येक पदार्थ प्रति क्षण विनाश की प्रक्रिया से गुजर रहा है। जो कल था, वह आज नहीं है और जो आज है, कल नहीं होगा। संसार प्रतिक्षण नाशवान और परिवर्तनशील है। फिर हम क्यों बाह्य पदार्थों, जड तत्त्वों में भटक रहे हैं? क्यों हम नश्वरता के पीछे बेतहाशा दौडे जा…
अनासक्ति का विस्तार
पुणिया श्रावक का उदाहरण शास्त्रों में उपलब्ध है। उसका जीवन सदाचार और संतोष से परिपूर्ण था। न महल कि कामना है, न सुदंर वस्त्रों के धारण करने कि कल्पना है। परमात्मा महावीर की वाणी को जिसने पढ़ा ही नही था, सुना ही नही था बल्कि क्रिया में, जीवन में, अचार में, विचार में भी उतारा था। उसकी प्रशंसा परमात्मा महावीर…