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प्रीत किये दुःख होय – भाग 1

सुरसुन्दरी को सुरसंगीत नागर में आये हुए छह महीने बीत गये । रत्नजटी के परिवार के साथ उसके आत्मीय संबंध बंध थे । रत्नजटी के साथ , उसकी चारों रानियों के साथ उसने अनेक तीर्थो की यात्राएं की थी । यात्राप्रवास में रत्नजटी के साथ तरह-तरह की धर्मचर्चा-तत्वचर्चा होती रहती थी । रोजाना रत्नजटी को भोजन करवाते वक्त भी रत्नजटी…

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