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हँसी के फूल खिले अरसे के बाद – भाग 6
लीलावती ने दुलार से सुरसुन्दरी का स्वागत किया और पूछा : सुन्दरी थकान तो उतर रही है न ? कोई तकलीफ तो नहीं है न ? सब कुछ ठीक है..पर एक जरा तकलीफ है ! क्या है ? बोल न ? मुझे मेरा शरीर किसी अच्छे वैध को दिखाना होगा । शायद में गुप्तरोग की शिकार हो गयी हु.. यह…
हँसी के फूल खिले अरसे के बाद – भाग 5
सुरसुन्दरी काफी आश्वस्त हो गयी थी। सारी रात उसे नींद नहीं आई थी इसलिए वह जमीन पर लेटते ही वही पर सो गयी। गहरी नींद में वह दोपहर तक सोयी ही रही। अचानक उसके पैरों के तलवे पर किसी का मुलायम स्पर्श होने लगा तो वह झटके के साथ जग उठी ! आंखे खोलकर देखा तो पैरो के पास सरिता…
हँसी के फूल खिले अरसे के बाद – भाग 4
देवी ऊँचे घर के लोग हमेशा दूसरों की ही चिंता ज्यादा करते है। इसलिए मेने अंदाजा लगाया कि तुम मेरी ही चिंता कर रही होंगी।.. मै तुम्हारे साथ जाऊ… और फिर वापस अकेली वापस आऊँ… तो तुम्हे भगाने का इल्जाम मेरे सर आये….फिर लीलावती मुझे सजा करे या नौकरी से निकाल दें !ऐसा सोच रही हो ना ? ‘अरे वाह…
हँसी के फूल खिले अरसे के बाद – भाग 3
पूरी बात सुनकर परिचारिका ने सुरसुन्दरी से पूछा : कहिए…दैवी ! आप मुझसे क्या चाहती है ? आप जो भी साथ सहयोग मांगेगी.. में दूँगी ! मुझे तुमसे हमदर्दी है…। ‘मेरे साथ धोखा तो नही होगा न ? ‘धोखा ? धोखा करने वाले होंगे..अमरकुमार… धनंजय और फानहान … जैसे आदमी लोग ! यह सरिता उनमे की नही ! भरोसा करना…
हँसी के फूल खिले अरसे के बाद – भाग 2
सुरसुन्दरी के मन मे विचारो का तुमुल संघर्ष चल रहा था। रात भर वह सोचती रही… कभी क्या ? कभी क्या ? रात बीती। सवेरा हुआ। उसने उठकर श्री नमस्कार महामंत्र का स्मरण किया। दैनिक कार्य निपटाकर वह बैठी बैठी परिचारिका की प्रतीक्षा कर रही थीं। कमरे के दरवाजे खुले ही रखे थे उसने। परिचारिका दूध लेकर आ पहुंची। ‘…