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हँसी के फूल खिले अरसे के बाद – भाग 1

मुझे यहाँ से जल्द से भाग जाना चाहिए। बड़ी चतुराई से भागने की योजना बनानी होगी… मेरा मन तो कहता है कि शायद यह परिचारिका मुझे उपयोगी हो सके ! इसकी आँखों मैं मेरे लिए सहानुभूति दिख रही थी।पर क्या पता… वह कुछ और ही सोच रही हो : ‘यह नई आई हुई स्त्री इस भवन की मुख्य वेश्या होने…

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