दिन की कहानी

Archivers

प्रभु स्मरण

भगवान ज्ञान गुण और करुणा गुण की सर्वत्र उपस्थित है। करुणा से मोहक्षय और मोहक्षय से केवल ज्ञान होता है। अतः केवलज्ञान करुणा युक्त ज्ञान है। उस ज्ञान से प्रभु प्रतिक्षण सभी को देख रहे हैं। उनकी करुणा, पाप और दु:ख में से जीवो को निकालने हेतु उमड़ रही है। सबसे अधिक प्रेम और ज्ञान द्वारा विश्व को देख रहे…

Read More
प्रभु भक्ति

प्रभु के नाम से पाप का नाश, प्रभु के रूप से पुण्य का प्रकाश, प्रभु के द्रव्य से आत्मबोध और प्रभु के भाव से भवजल पार होता है। श्री अरिहंत परमात्मा का नाम, आकृति, द्रव्य और भाव इन चारों निक्षेपों की त्रिविध-त्रिकरण योग से की गई भक्ति, त्रिभुवन हितकर शक्ति रूप में प्रकट होकर स्वधर्म निभाती है। अपने स्वयं के…

Read More
भक्ति का लक्ष्य

भक्ति का अर्थ दासता या अधीनता नहीं है परंतु एकता और अभेद की अनुभूति है। सूर्य का प्रतिबिंब दर्पण की तरह सूर्यकांत मणि में भी गिरता है। दर्पण में गिरा प्रतिबिंब मात्र प्रतिबिंब ही रहता है जबकि सूर्यकांत मणि में गिरा प्रतिबिंब दूसरों को भी प्रकाशित करता है उसी प्रकार परमात्मा के प्रति श्रद्धा, भक्ति और प्रेम को धारण करनेवाले…

Read More
भगवत चिंतन

भगवान का नाम स्वयं भगवान है। जीभ पर नाम आते ही भगवान की करुणा, प्रेम, दया, अहिंसा, अस्तेयादी गुण अपने भीतर आते हैं। मुख में नाम आते ही ‘में पवित्र हूँ’ ऐसी प्रतीत होने चाहिए। नाम और नामी लगभग एक ही है। नाम के जाप के साथ भगवान ह्रदय में आ रहे हैं, भगवान की झांकी ह्रदय में हो रही…

Read More
अनुग्रह और अनुराग की शक्ति

अनुग्रह से अनुराग और अनुराग से अनुग्रह बढ़ता है। अनुराग यह भक्ति की (receptivity) है और अनुग्रह यह भगवान का (response) है। अनुग्रह अनुराग की अपेक्षा रखता है। इन दोनों शब्दों में ‘अनु’ शब्द है, वह सूचक है। अनुग्रह और अनुराग परस्पर सापेक्ष है, ऐसा सूचन करता है। अनुग्रह और अनुराग दोनों मिलकर नमस्कार पदार्थ बनते हैं। अनुग्रह द्वारा सहजमल…

Read More

Archivers