हे भव्य जीवो !
आज आपको एक कहानी सुनाता हु जिसने णमोकार मंत्र का अपमान किया
उसको क्या फल मिला
जी हां ,
एक समय की बात है सुभौम चक्रवर्ती नाम का एक राजा राज्य करता था । वह अपने राज्य को बहुत अच्छी प्रकार से चलाता था । उसे आम बहुत पसन्द थे । एक बार एक देवता मनुष्य का रूप बनाकर अपने पूर्व भव का बदला लेने के लिये सुभौम के पास आया और सुभौम चक्रवर्ती को आम खाने को दिये । उसने आम खाये क्योंकी उसे आम बहुत पसन्द थे, तो सुभौम चक्रवर्ती ने देवता से और आम मांगे, देवता ने कहा कि अगर आपको ओर आम खाने है तो आप मेरे साथ समुद्र के पार चलिये । सुभौम चक्रवर्ती देवता के साथ समुद्र के पार जाने के लिये तैयार हो गया ।
जब उनकी नाव समुद्र के बीच पहुची तो देवता ने अपनी शक्ति के प्रभाव से समुद्र मे तुफान ला दिया, जिसके कारण नौका डुबने लगी पर सुभौम चक्रवर्ती तो णमोकार महामंत्र का जाप कर रहा था तो कैसे डुबता । अर्थात काफी देर तक नौका नही डुबी तब देवता ने अपनी सिद्धी से जाना की राजा तो णमोकार मंत्र का जाप कर रहे है ।
देवता ने राजा से पुछा की तुम किस मंत्र का जाप कर रहे हो
चक्रवर्ती ने कहा, मैं णमोकार मंत्र का जाप कर रहा हूं ।
देवता ने कहा अगर तुम बचना चाहते हो तो णमोकार मंत्र को पानी मे लिखकर मिटा दो, डर के भय से राजा ने वैसा ही किया जैसा देवता ने कहा । सुभौम ने पानी मे णमोकार मंत्र लिखा और जैसे ही राजा अपने पैर से णमोकार मंत्र को मिटाने लगा तो नौका पलट गयी और सुभौम चक्रवर्ती णमोकार मंत्र के अपमान के कारण सातवे नरक मे गया ।
हे भव्य जीव कभी भी णमोकार मंत्र का अपमान नही करना चाहिये । यदि कैलेण्डर मे, कागज पर कही भी आपको लिखा मिल जाये तो उसे सम्मान से किसी
उच्च स्थान पर रख देना चाहिये । प्राय ये भी देखा जा रहा है कि व्हाटसप पर णमोकार मंत्र, भगवान जी की फोटो, व साधु-सन्तो की फोटो पोस्ट की जाती है, जो कि गलत है जिसको डिलीट करने मे बहुत दोष लगता है कृपया ना करे और पाप से बचे ।
एक बात और कभी अपने जीवन मे साधु की निन्दा मत करना । साधु निन्दा का भी बहुत बडा दोष लगता है जिससे हमे जन्म-जन्मान्तर तक भटकना पडता है साधु तो अपनी गलती को सुधार लेंगे पर हम अपनी गलती को कहा सुधारेंगे ।