महाभारत कथा में कौरव राजा धृतराष्ट्र के पुत्र थे।
इन्हीं धृष्टराज के पूर्वभव की कथा इस प्रकार से हैं-
पूर्वभव में धृतराष्ट्र एक न्यायप्रिय सत्यवादी राजा था, परन्तु उसमें एक
अवगुण था की उसके अंदर खाने के प्रति बहूत तष्णा थी।
उसे तब किसी के हित-अहित का ध्यान नहीं रहता। एक बार उसके रसोईये ने राजा के भोजन में हंस के बच्चे का माँस मिला दिया।
राजा को खाने की इच्छा में यह भी ध्यान न रहा की आज भोजन में ऐसा स्वाद क्यों आ रहा हैं? नौकर ने इसे राजा की सहमती समझी और सौ हंस के बच्चे राजा को खिला दिये इसलिए उसे अगले जन्म में न्यायप्रिय होने के कारण राजा का पद तो मिला पर हित-अहित का ध्यान नहीं रखने के कारण वह अंधे हुए और सौ हंस के बच्चे मारने कारण उसके सौ पुत्र मर गये।
इसलिए कभी हिंसा नहीं करनी चाहिए और
महावीर भगवान के संदेश “अहिंसा परमो धर्म:” को अपनाना चाहिए।