1.ऋषभदेव भगवान ने 4,000 पुरुषों के साथ, पार्श्वनाथ तथा मल्लिनाथ ने 300 पुरुषों के साथ , वासुपूज्य स्वामी ने 600 पुरुषो के साथ तथा महावीर स्वामी ने तो अकेले दीक्षा ली थी। जबकि बाकी के 19 तीर्थंकरो ने 1000 पुरुषो के परिवार साथ दीक्षा ली थी
3. चौबीस तीर्थंकर एक वस्त्र पहनकर घर छोड़ कर निकले थे।
2 महावीर,अरिष्ठनेमी,पार्श्वनाथ,मल्लिनाथ तथा वासुपूज्य स्वामी ने प्रथम वय में जबकि बाकी के तीर्थंकरों ने पिछ्ली अवस्था में दीक्षा ली थी।
4. ऋषभदेव ने विनीता नगरी में, अरिष्ट नेमि ने द्वारिका में और बाकी के तीर्थंकरो ने जन्मभूमि वाले स्थान पर दीक्षा ग्रहण की थी।
7. महावीर परमात्मा के केश हीरों की थाली में लिए गए थे।
6. पहले तथा अंतिम तीर्थंकर को पांच महाव्रत बाकी को चार महाव्रत थे।
9. चौबिश तीर्थंकरों में से सुमतिनाथ भगवान् ने दीक्षा लेने से पहले उपवास नहीं किया। वासुपूज्य स्वामी ने चार टंक का, पार्श्वनाथ तथा मल्लिनाथ ने आठ टंक का तथा बाकी तीर्थंकरों ने छ: टंक के उपवास किये थे।
8. एक मुट्ठी से दाढ़ी और मुछ के तथा चार मुट्ठी से सिर के बालों का लोच सभी तीर्थंकर ने किया। इसलिए पंचमुष्टि लोच कहते हें।
5. ऋषभदेव ने सिद्धार्थ नाम के वन में, वासुपूज्य स्वामी ने विहार गृह, धर्मनाथ भगवान ने वप्र कामां,मुनिसुव्रत स्वामी ने नीलगुहा में, पार्श्वनाथ ने आश्रम पद में, महावीर स्वामी ने ज्ञात वंशियो के उद्यान में तथा बाकी के 18 तीर्थंकरों ने सह्स्त्राम्रवन(आम के बगीचों में)में दीक्षा ली थी।