इस पुण्यशाली का नाम भी कितना पवित्र है? नाम इनका वीरचंद्र गोविंदजी। इनकी विशिष्ट आराधनाए बताऊ? जाननी है? खूब ध्यान से पढ़ो।
१) प्रतिदिन दो प्रतिक्रमण और आठ( रिपीट आठ) सामयिक!!
२) हर रोज लगभग एकासणा।
३) तीन लिलोतरी के सिवा सभी (हरी सब्जी)का त्याग।
४) प्राय : बरसात में बारह नहीं जाते!
५) कालवेला में खुले में साधु की तरह कांबली ओढ़ कर जाते हैं!
६) पूजा के लिए स्नान जयणा से करते हैं।
७) संडास, बाथरूम साधु की तरह बाहर खुले में ही करते हैं। साधु की तरह बहुत सारे पाप ग्रहस्थ वेश में भी छोड़ने वाले ऐसे साधक इस काल में गिने-चुने होंगे। लगभग दस साल पहले देवलोक हो गए यह श्रावक बारडोली पाठशाला में अध्यापक थे। आप सब भी इस आदर्श श्रावक की दिल से अनुमोदना करें, यथाशक्ति धर्म आराधना करें यही शुभेच्छा। नित्य सामायिक, पांच तिथि हरी सब्जी का त्याग, स्नान के लिए पानी का कम उपयोग करना इत्यादि यथाशक्ति संकल्प और प्रतिज्ञा आप आज से ही करें और इस पढ़ाई को सफल करें। इस धर्मात्मा को आराधको में प्रथम स्थान पर रख सकते हैं। उनके जैसी यथाशक्ति आराधना करोगे तो अनुमोदना के कारण आपको भी उनके जैसा पुण्य भी मिलेगा।