एक साध्वी म. को प्लीहा की बीमारी थी।पांच इंजेक्शन लेने पड़ेंगे ऐसा डॉक्टर ने जांच करके कहा।पांच का खर्च ७०हजार था। श्री गिरधरनगर संघ ने विना विलंब कह दिया कि कितना भी हो,- हम लाभ लेंगे!श्री गिरधरनगर संघ सभी साधु साध्वीजी म. सा. की बीमारी आदि में बहुत भक्ति करता है। वहां रहने की, दवा आदि की भी सुविधा कर देता है। गिरधरनगर में चत्रभुज राजस्थानी हॉस्पिटल सिविल के पास नई बनी। उसके ट्रस्टीयों के साथ जैन संघ ने बातचीत की।
धर्मबुद्धि से करार किया कि हॉस्पिटल सदा के लिए जैन साधु साध्वीजी की चिकित्सा मुफत में करें। श्री जैन संघ में इसके लिए पाँच लाख की जंगी रकम का दान हॉस्पिटल को किया।
कुछ साल बाद महंगाई की वजह से खर्च बढ़ने से ट्रस्टीयों की प्रार्थना से दूसरे छह लाख का भी दान श्री संघ ने हॉस्पिटल को दिया था। साधुसाध्वीजी की गोचरी, पानी आदि सभी भक्ति श्री संघ सदा करता आया है। लगभग काफी अधिक संख्या में साध्वीजी भगवंत वहाँ मुकाम करती है और श्री संघ उदारता से सभी लाभ लेता है।
इस साल का चातुर्मास संघ ने प.पु. गच्छाधिपति, आचार्य श्रीमद विजय जयघोषसुरीश्वरजी म.सा.का करवाया है। साथ मैं विद्वान मुनि श्री अभयशेखरविजय गणिश्री को पढ़ाने रखे हैं। लगभग सवासौ साध्वियों की पढ़ाई आदि के लिए वहां चातुर्मास करने की भावना संघ ने भक्ति से पूर्ण की!!! उपरांत वहां के प्रमुख हीराभाई आदि प. पू. गच्छाधिपतिश्री को विनती करते हैं कि पढ़ाई के लिए और ज्यादा साध्वीजी भगवंत की इच्छा हो तो संघ उन सभी का लाभ लेने के लिए तैयार है! ट्रस्टी कहते हैं,”साहबजी!हमारे संघ के आगे वेयावच्च, तप, आराधना, जीवदया, साधारण किसी भी कार्य के लिए प्रेरणा करोगे तो श्री संघ सदा उदारता से पूर्ण करता है।” है जैनो!आप अनुमोदना करें कि ट्रस्टी गण और यह संघ साधु भगवंतो की, संघ की, आराधको की सभी भक्ति करने को सदा तैयार है!!!
विशेष अनुमोदनीय बात यह है कि पुरे संघ में एकता है! वहां क्लेश लेशमात्र नहीं।२०भाविको कि ऐसी उत्तम भावना है कि २० साल तक भव्य सामुदायिक आराधना करना!!!
श्री शंखेश्वरजी का और सिध्दाचलजी का संघ भी निकाला था।
इस साल पालीताणा में नव्वाणु यात्रा करवाने की भावना रखते हैं। लाखों धन्यवाद ऐसी सुंदर भावना रखनेवाले सुश्रावको को। सिध्दाचलजी का संघ निकाला उसमे हम नो साधु थे। संघ ने जहां मुकाम किया उसके आसपास के बोटाद आदि कई गांवो में म.सा. की सलाह लेकर उदारता से लाखों रुपए का लाभ लिया।रास्ते में भी चतुर्विध संघ की उदारता से भक्ति की।
गिरधरनगर जैसे अहमदाबाद- मुंबई आदि के दूसरे अनेक संघ सुंदर आराधना करते-करवाते हैं। सर्व संघ इस तरह जिनाज्ञा पालन करते हुए सकल संघका हित साधे यही मनोकामना।