दिन की कहानी

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सबको वीर तो बनना है, पर वीर के पथ पर नहीं चलना है

वीर अपने आप में एक अ-वर्णनीय व्यक्तिव l इनके द्वारा बताये पथ पर चलकर ही सिद्धत्व की प्राप्ति होना संभव है l और इस पथ में कोई शॉर्टकट नहीं है l हम सब को सिद्धत्व तो चाहिये पर इनके द्वारा बताया गया पथ हमे दुष्कर लगता है l हम सब चाहते है की सिद्धत्व तो प्राप्त हो पर पथ आसान…

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त्याग भी धर्म का अंग है

त्याग भी धर्म का अंग है, वह भंग रहित है, तप गुण से युक्त, अत्यन्त पवित्र पात्र के लिए अपनी शक्ति के अनुसार भक्तिपूर्वक त्यागदान देना चाहिए, क्योंकि वह पात्र अन्य गति के लिये पाथेय के समान है ऐसा समझो। त्याग—दान से अवगुणों का समूह दूर हो जाता है, त्याग से निर्मल र्कीित फैलती है, त्याग से बैरी भी चरणों…

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मृत्यु का कारन?

आचार्य श्री ने कहा की हीरे का कण भोजन के साथ पेट में चला जाय तो मृत्यु का कारन बन जाता है जबकि ओषधि के रूप में जाय तो गुणकारी बन जाता है । तप सात्विक भाव से करते हैं तो परिणाम अच्छे होते हैं । दो प्रकार की साधना बताई गई है मृदु और कठोर । जीवन में दोनों…

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मेरा सपना

कल रात मैंने एक सपना देखा, सपने में, मैं और मेरी Family शिमला घूमने गए। हम सब शिमला की रंगीन वादियों में कुदरती नजारा देख रहे थे। जैसे ही हमारी Car Sunset Point की ओर निकली, अचानक गाडी के Break फेल हो गए और हम सब करीबन 1500 फिट गहरी खाई में जा गिरे..! मेरी तो on the spot Death…

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जैन धर्म के अनुसार रक्षा बँधन क्यों?

भगवान मुनिसुव्रत के समय की कहानी है | उज्जैनी नगरी में राजा श्रीवर्मा राज्य करते थे | उनके बलि, नामुचि, बृहस्पति और प्रह्लाद आदि चार मंत्री थे | उनको धर्म पे श्रद्धा नहीं थी | एक बार उस नगरी में 700 मुनियों के संघ सहितआचार्य श्री अकम्पन जी का आगमन हुआ | राजा भी उनके मंत्री के साथ गए |…

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